इस तरह का व्यवहार मानसिक रोगों के लक्षण हो सकते है

मानसिक संतुलन बिगड़ने के ये हो सकते है संकेत 


आज हर व्यक्ति के जीवन में तनाव ने बहुत बड़ा स्थान बना लिया है |  हर परिवार में कुछ न कुछ समस्याएं बनी रहती है |  समस्याओं  के  समाधान नहीं  निकल पाने से व्यक्ति हताश, निराश ,परेशान और कुंठित हो जाता है |  और यही वजह उसे खुश होने से रोके रहती है |  व्यक्ति अपने आप को इतना कमजोर कर लेता है की उसका मानसिक और वैचारिक  संतुलन बिगड़  जाता है | इसी के  चलते वह अवसाद का शिकार हो जाता है |  अपने मन की बात वह  किसी से शेयर नहीं कर पाता  है | बात - बात में गुस्सा  अपने आप को दूसरो से  या तो बहुत कम आंकना या बहुत ज्यादा आंकना  दोनों ही बाते अवसाद का कारण बन सकती है |  दूसरा हमेशा अपने आप को चिंताओं से घिरा रखना , बात  मनवाने के लिए कुछ भी करने  को तैयार हो जाना , मानसिक संतुलन बिगड़ने के संकेत है | किसी भी बात पर जरूरत से ज्यादा सोचा विचारी करना | सारा ध्यान एक ही  पहलू  पर लगा कर रखना | किसी की बात को तवज्जु नही देना | हमेशा अपने आप को सही साबित करने की कोशिश करना  |
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  इस तरह का व्यवहार मानसिक रोगों  के  लक्षण हो सकते है


 यदि आपको किसी भी अपने के साथ ऐसा प्रतीत हो तो इससे सावधान होने की आवश्यकता  है  इस तरह का व्यवहार  मानसिक रोगों  के  लक्षण हो सकते है | वास्तव में अपने मन माफिक कार्य नहीं होने और उसको मन में दबाकर रखने से ये समस्याएं ज्यादा पनपती है |  जो इंसान अपने आप को खुश नहीं रख पाते है उन्हें भी दूसरो की ख़ुशी से मानसिक वेदना होती है | यह मानसिक वेदना भी अवसाद का कारण बनती है   | आज भी हम इन विषयो पर खुल कर चर्चा  नहीं  करना चाहते  है |  यदि  हमारे परिवार में इस तरह का कोई पेशेंट है तो हमे उस पर खुल कर चर्चा करनी चाहिए | चिकित्सकीय  परामर्श लेना चाहिए  | योग और मेडिटेशन भी इसमें सुधार का  जरिया हो सकते है | अक्सर हम इज्जत  के डर  से इस तरह के मामलो पर बात नहीं करना चाहते और लोगो में यह बात चर्चा का विषय नहीं हो इस लिए इसे छुपाना उचित समझते है |  परन्तु हम यह बहुत बड़ी गलती करते है लोगो को पता लगने से इसका खमियाजा जरूर भुगतना पड़ता है |  परन्तु उससे भी ज्यादा नुक्सान पता नहीं लगने देने से होता है |

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 मानसिक रोग कोई बड़ी बीमारी नहीं होती है



 किसी भी सच्चाई  को छिपाने के लिए दस झूठ बोलने पड़ते है   वो दस झूठ  कभी भी सच्चाई को छुपने नहीं देते है और हमे यह गलत फहमी रहती है की हमने सच्चाई छुपा रखी है  | यही मानसिक रोग के संदर्भ में होता है हम इसे छुपा कर बीमारी को कम करने के बजाय और बड़ा देते है  |  जबकि मानसिक रोग कोई बड़ी बीमारी नहीं होती है |  यह अक्सर व्यक्ति  की जिद्द  कुंठा और गुस्से का परिणाम होती है  यह मात्र हमारे मन के विचारो का तालमेल बिगड़ने से उपजती है | और उस तालमेल को सही जगह पर लाया  जा सकता  है  तो सिर्फ प्रेम से  जिसने प्रेम करना सीख लिया ना तो वो कभी खुद इस बीमारी का शिकार होगा ना किसी अपने को होने देगा |  परन्तु  इसके लिए बहुत ही गहरे प्रेम की जरूरत होती है |  जो अपने स्वार्थ, नफे नुकसान और दीन दुनिया को भूल कर किया जाये | मानसिक बिमारी को ठीक करने में दूसरो से और चिकित्सा से भी ज्यादा योगदान स्वयं का होता है |  अपने आप को संभालना बहुत जरूरी होता है |दुनिया में की बड़ी बड़ी हस्तियाँ  है जो असफलता के चलते या अहं  और वहम के चलते डिप्रेशन का शिकार हुए है |   लेकिन उन्होंने समय रहते  इसे महसूस किया और अपने आप को  डिप्रेशन मुक्त किया |
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 मन को खुश रखने का समय ना  तो खुद के पास बचा है ना दूसरो के पास                                        

 जब भी कोई भी  किसी भी वजह से तनाव महसूस कर रहा  हों  इसे हल्के में ना लें  |  अन्य  बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है |  परन्तु किसी व्यक्ति के मानसिक रोगी होने का पता इतनी आसानी से नहीं लगाया जा सकता  |  क्यों की यह बीमारी  मन से जुडी होती  है और किसी के मन  में क्या चल रहा है उसका पता लगा पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होता है |    अन्य बीमारियों का इलाज पैसा खर्च करके भी किया जा सकता है परन्तु  इसका इलाज सिर्फ मन के खुश रहने से हो सकता है  |  और मन को खुश रखने का समय ना  तो खुद के पास बचा है ना दूसरो के पास  इसलिए अहम, वहम, कुंठाओ को त्याग कर  अपने सबसे नजदीकी व्यक्ति से सम्पर्क करें  | उसके साथ बातचीत करे, खेले कूदे, मनोरंजन करें , घूमे फ़िरे , काम का बोझ अपने ऊपर नहीं लादे रिलेक्स रहें |
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  आज निस्वार्थ  सच्चा प्रेम परिवारों में रहा नहीं हर व्यक्ति का सपना सिर्फ पैसा रह गया है


 चूँकि  आज निस्वार्थ सच्चा  प्रेम परिवारों में रहा नहीं हर व्यक्ति का सपना सिर्फ पैसा रह गया है | , जो न तो खुद को चेन से रहने देता है न दूसरो को  |पैसा कमाने की की इस होड़ ने  मानसिक अशांति पैदा कर रखी है |  इस समस्या ने हर घर में मानसिक रोगी पैदा कर दिए है |  जो भले ही आज दिखाई  नहीं दे रहे है परन्तु कही ना कहीं तनाव की सबसे बड़ी वजह पैसा ही है |  इसी की  वजह से लोग कर्ज में आ जाते है इसी की वजह से मान सम्मान प्रतिष्ठा खो देते है, यही व्यक्ति को  उठता है यही नीचे गिराता है | ऊपर नीचे  गिरने का यह डर भी मानसिकता को बार बार प्रभावित  करता है  | इसलिए पैसा कमाए  परन्तु  रात दिन एक करके नहीं अपने स्वास्थ्य को दांव  पर लगा कर नहीं | बल्कि अपनी आवश्यक्ताओं  और जिम्मेदारियों को निभाने के लिए  | आज हमारी आवश्यक्ता जरूरत से ज्यादा बढ़ गई है  इन्हे पहचान कर कम करने की जरूरत है|   हमारी जरूरते और अपेक्षाएं भी मानसिक रोग को बढ़ाने और कम करने में अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी भूमिका निभा सकती है | 10  अक्टूबर को प्रति वर्ष मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है | मानसिक रोग के अप्रत्यक्ष कारणों को पहचान कर इस दिवस को मनाने में अपना योगदान दें | अपने आपको और परिवार को मानसिक शांति प्रदान करें |

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