दूसरों को दोष देकर कभी जीवन का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता

जीवन में हर व्यक्ति के अलग अलग उद्देश्य होते है 

उन उद्देश्यो   की पूर्ति के लिए हर व्यक्ति अपनी ताकत लगा देता है | उद्देश्यो की पूर्ति के लिए  परेशानिया भी उठानी पड़ती है, सच झूठ भी करना पड़ता है, कुछ   गलतिया स्वयं से भी होती  है, कुछ दूसरों  की सहनी  भी पड़ती है , धोका भी खाना पड़ता है, नफे नुकसान भी उठाने पड़ते है | जीत  हार का सामना भी करना पड़ता है |   बिना इनके कोई इंसान जीवन में लक्ष्य प्राप्ति  की कल्पना नहीं कर सकता |  ये सब जीवन की प्रक्रिया होती है परन्तु इंसान इसे स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होता है |  वो चाहता है इन सबके हुए  बिना वह  अपना जीवन आसान तरीके से  जीए |  परन्तु  उसे  जीवन भर आभास नहीं हो पाता की दुनिया में ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसने धोका नहीं खाया हो, कोई इंसान नहीं है जिसने झूठ  सच नहीं बोला  हो,  कोई इंसान नहीं जो गलती नहीं करता हो, कोई इंसान नहीं जो अपनी हर बात पर अडिग रह पाता हो, कोई इंसान नहीं जो किसी को नुकसान नहीं देता हो, वह खुद  भी इन बातो से अछूता नहीं होता परन्तु स्वीकारने  के लिए तैयार नहीं होता |


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 यही वजह है की ऐसे  लोग ओवर कॉन्फिडेंस में अपना जीवन गुजारते है


  ऐसे इंसान  अपना सारा जीवन इसी गलत फहमी में निकल कर खुद को सबसे बड़ा धोका देते है  | दूसरों  को नाराज वो कर देते है, आर्थिक नुकसान वो करते रहते है,   समय का प्रबंधन वो नहीं कर पाते कारण वजह बता बता कर सारा जीवन वो यही साबित करने में निकाल देते है की वो  गलत नहीं है  | यही वजह है की ऐसे  लोग ओवर कॉन्फिडेंस में अपना जीवन गुजारते है |  वो दूसरो की बातो को बिलकुल भी तवज्जु नहीं देते है यह ओवर कॉन्फिडेंस उन्हें अपने अंदर नहीं झाँकने देता |  धीरे धीरे लोग खुद उनसे दूरी बनानी शुरू कर देते है | दुनिया में आज भी कई  लोग इसी गलत फहमी का शिकार है |  यदि आपको भी ऐसा लगता है की लोग आपसे दूरी  बनाना चाह  रहे है तो अपने अहम वहम को त्याग कर निर्मल ह्रदय से अपने मन के अंदर फुरसत  निकल कर झाकने की कोशिश करें |  अपने मन को टटोले  कहीं आप पहले से बदले बदले तो नजर नहीं आ रहे है |कहीं  आप भी कोई सच्चाई तो नहीं छुपा रहे हैं कहीं  आपकी वजह से कोई दुखी तो नहीं है | 


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 दूसरों  को दोष देकर कभी  जीवन का  लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता 



  जिन उद्देश्यों को लेकर आप अपना जीवन जीना चाह  रहे थे उनमे कितने उद्देश्य आप पूर्ण कर पाए ?   कितने उद्देश्य आप दूसरो की वजह से पूर्ण नहीं कर पाए ?   कितने उद्देश्य आप अपनी वजह से पूर्ण नहीं कर पाए  ?  किसी से भी यदि इसका जवाब पूछा जाये तो  अपने आप पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगा |   सभी की ऊँगली दूसरो की तरफ ही उठेगी  अपने आप को कोई दोषी नहीं मनेगा  |  वो इसलिए की जो लोग दूसरो को दोष नहीं देकर अपने लक्ष्य  की तरफ बढ़ते है वो अपने लक्ष्य  को कभी का पूरा कर चुके होते है | जो  यह गलत फहमी पाले  रहते है की में इस वजह से काम नहीं कर पाया  |  में उस वजह से काम नहीं कर पाया  |  वो जीवन भर यही दलीले देते रहते है | जिन्हे लक्ष्य पूरा करना होता है वो बिना किसी पर दोषारोपण के आगे बढ़ते रहते है | कहने का अर्थ यह है की लक्ष्य  प्राप्त करने के लिए अपने दोषो को गिनो दूसरे  के नहीं | दूसरों  को दोष देकर कभी  जीवन का  लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता  |



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