इसे पढ़ने के बाद मन की बात शेयर करने में नहीं हिचकिचाएंगे

इसे पढ़ने के बाद मन की बात शेयर करने में नहीं हिचकिचाएंगे  

नमस्कार दोस्तों ,

क्या आप भी अपने मन की बात किसी से शेयर करने में हिचकिचाते है ?  यदि हाँ तो आप बहुत बड़ी गलती करते है |  अपने मन में भरी हुई हीन  भावना को निकालने   और अपने परिवार , रिश्ते नातो को दुखी होने से बचाने के लिए मेरा यह आर्टिकल अवश्य पढ़े |  यह आर्टिकल आप की हिचकिचाहट के  डर  को दूर करने में सहायक होगा | 

क्या गलती बताने से इंसल्ट होने का डर रहता है ?

अधिकतर लोग अपने जीवन में यह गलती करते हैं कि न जाने किस वजह से वह अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाते हैं | और इस वजह से अपने मन के अंदर ही अंदर घुट-घुट कर जहर बनाते रहते हैं | सोचो जब जहर अपना असर दिखाता है तो क्या होता है ? यह जहर किसी न किसी के लिए अवश्य नुकसानदायक होगा | इसलिए किसी ना किसी से अपने मन की बात जरुर शेयर करें | अपने मन को हल्का रखें |   कभी कभी आपको ऐसा लगता है कि मन की बात कहें किससे ? माँ से कहेंगे तो समस्या पिता से कहने की   हिम्मत नहीं ?  पति से कहेंगे तो परिवार में क्या पता क्या बवाल खड़ा हो जाएगा ? पत्नी से कहा तो ओर मुसीबत हो जाएगी |? बच्चों से तो यह बात कर ही नहीं सकते ? दोस्तों को बताएंगे तो इंसल्ट होने का डर रहता है ? इन सभी के चलते हम अपनी गलती बताने से डरते है या उसे छुपाने की कोशिश करते है | 

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कई लोगों में मन की बात भाँपने की अद्भुद  क्षमता होती है 
यही सोचकर कई बार हम छोटी - छोटी बातों को मन में रखकर जहर बनाते रहते हैं और जब मन में वह बात घर कर जाती है तो हमारा मन किसी भी काम में नहीं लगता | हम गलतियों पर गलतियां करते जाते हैं और बीमारी पालते रहते  हैं | यहां तक कि किसी रिश्तेदार को भी  आपकी मानसिकता का आभास होने पर भी आप अपनी समस्या बताने से इनकार करते रहते हैं और कोशिश करते हैं कि सामने वाले को कुछ पता नहीं चले | आप यह बहुत बड़ी गलती करते हैं |  आप चाहे किसी के मन की बात भांप सकें या न भांप सकें लेकिन कई लोगों में यहअद्भुद  क्षमता होती कि वह आपके चेहरे के हाव- भाव से, आपकी प्रतिक्रिया से, आप के क्रियाकलापों से यह तो जान ही लेते हैं कि कोई न कोई बात जरुर है | उसके बावजूद भी आप इतने हठधर्मि होते हैं कि अपने मन की बात बताना उचित नहीं समझते |

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अवसाद के कारण ही आपको सही सलाह भी बुरी लगने लगती है 
यही आपकी सोच अवसाद का कारण बनती है जो ना आप को कुछ सोचने देती है ना करने देती है | ना किसी की बात सुनने देती है ना मानने देती है और आप अपना तो बुरा कर ही रहे हैं साथ ही अपने परिवार का भी बुरा कर रहे हैं | यही सब  अवसाद और  चिड़चिड़ेपन में बदल कर रिश्तो में खटास पैदा कर देता है  |  फिर जब आपको कोई सही  सलाह भी देता है तो वह बुरी लगती है | अवसाद के कारण ही आपको सही सलाह भी बुरी लगने लगती है |  और जब आपको किसी की बातें बुरी लगती है तो स्वाभाविक है जो लोग आपका भला सोचते हैं उन्हें भी आपकी बातें  बुरी लगने लगती है |
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 अंजाम यह  होता है कि  पूरे परिवार में नेगेटिव मैसेज जाने शुरु हो जाते हैं  | और यह नेगेटिविटी इतनी खतरनाक हो जाती है कि अच्छा भला परिवार बर्बाद हो जाता है बिखर जाता है  | क्योंकि परिवार के बिखराव से आर्थिक, मानसिक, शारीरिक सारी समस्याएं एक साथ प्रारंभ हो जाती है | जिन्हे हर कोई नहीं समझ पाता है और जब तक हम समझते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है | दोस्तों यदि आप अपने परिवार की भलाई चाहते हैं तो अपनी इंसल्ट की परवाह किए बिना अपने आप को गलत साबित होने से बचाने की कोशिश नहीं करें  |  अपने मन की बात किसी ना किसी व्यक्ति से जरुर शेयर करें |  दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो अकेला है अकेला सिर्फ वह है जो अपने आप को अकेला समझता है।
लेख आपको कैसा लगा अपने अमूल्य सुझाव हमे अवश्य दे आर्टिकल यदि पसंद आया हो तो like , share,follow करें | 

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