क्या आधुनिक समय में पैसा मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है ?

क्या आधुनिक समय में पैसा मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है ?


 इंसानियत और मानवता के लिए भी खतरा है  पैसे के पीछे दौड़ना

आधुनिक समय में पैसा मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है |  पैसा होना और   ना  होना दोनों  ही  दुश्मनी की वजह है | अधिकतर  अमीर  इंसान गरीब को अपना दुश्मन समझते  है |  वहीं  कई बार  गरीब इन्सान  भी बेवजह ही अमीरों  को अपना दुश्मन समझने  लगता है | चाहे हकीकत कुछ  भी हो  लेकिन यह कटु सत्य है  | पैसा कमाने के चक्कर में इंसान अपने रिश्ते नातों  को भूल जाता है  | और उनसे दुश्मनी मोल ले लेता है |   अपने थोड़े से   लालच के लिए वह इंसानियत तक को ताक  पर रख देता है  |  दुनिया भर  का तनाव और दुश्मनी लेकर भी इंसान पैसा कमाने की दौड़ में  सबसे आगे खड़ा होना  चाहता है |  ताज्जुब जब  होता  है  जब एक सुशिक्षित, प्रतिष्ठित , ईमानदार इंसान भी पैसा कमाने के  लिए कानूनों को तोड़ने मरोड़ने का प्रयास करने से नहीं चुकता है | आज बड़े- बड़े रईस  खानदानों  में भी पैसों तथा  प्रॉपर्टी की लड़ाइयाँ  सामने आने लगी है और इसके लिए जान लेने और देने तक की नौबत से भी इंकार  नहीं किया जा    सकता  |  जिसके पास पैसा  है वो उस  पैसे को बचाने  की  वजह से जान जोखिम  में  डाले हुए है  | जिसके पास नहीं है वह  अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़  करने के लिए उलटे सीधे तरीके  अपनाने को  मजबूरी  बताता  है  | कोई गरीब पेट की भूख मिटने के लिए मजबूरी में कभी सभी गलती करे तो बात समझ आती है परन्तु दूसरों  की धन सम्पति की बराबरी करने और आर्थिक स्थिति सुदृढ़  करने के लिए येन केन प्रकारेण पैसा कमाना, पैसे के पीछे दौड़ना दुश्मनियाँ   पैदा करता ही है साथ ही  इंसानियत और मानवता के लिए भी खतरे पैदा करता है | किसी शायर ने ठीक कहा  है  " बस  दिल जितने का मकसद रखो दुनिया जीतकर तो सिकंदर भी खाली हाथ ही गया है "



 पैसा  नहीं होने और पैसा होने  दोनों ही वजह से इंसान अपने आप का भी दुश्मन बना हुआ है | क्योँकि दोनों ही वजह से तनाव लेकर वह अपने स्वास्थ को बिगाड़  रहा  है |  इस पैसे की ही देन है की आदमी अपने दुःख से इतना दुखी  नहीं है जितना  दूसरों  को सुखी देख कर  |   पैसा कमाने की अंधी दौड़ में  लोग अपने  बिजनेस  में प्रतिस्पर्धा  से जूझ रहे होते है |  ना जाने कितने लोग इस प्रतिस्पर्धा के   चलते एक दूसरे के दुश्मन बन जाते है |  पैसा  ही किसी की सही बात को गलत साबित  करवा  सकता सही को गलत  बाप बड़ा ना  भैया  सबसे बड़ा रुपैया की सोच  इंसानियत, ईमानदारी, सच्चाई , अहिंसा  तक  पर भारी पड़ी हुई है | जिसका फायदा मुठ्ठी भर लोगों  को मिल पाता है  बाकी तो पैसा होने और ना  होने के जुर्म में या तो अदालतों  के  चक्कर काटते काटते अपनी जिंदगी गुजार देते है | या अपने जीवन की खुशियों  को दांव पर लगा कर  जीवन भर दुश्मनियाँ  मोल लेते रहते है | जरा सोच कर देखें  कितने लोग हैं जो पैसा होने के बावजूद अपने जीवन को सुख शांति और सुकून से जी पाते है |  रातों  की नींद और दिन का चेन खोकर पैसा तो कमा लेते है लेकिन उस पैसे के बिस्तर पर चेन की नींद कभी नहीं सो पाते है  | किसी ने कहा  है   " जिनके पास पैसे चार उनके दुश्मन बनते यार  जिनके पास कुछ नहीं उनको तो अपने भी देते मार  "


गलत फहमी नहीं पालें  की गरीब को इज्जत नहीं मिलती मान सम्मान नहीं मिलता


  चेन  सुकून की नींद तो पैसा कमाने के बाद वो इंसान सो सकता है जो उस पैसे का सदुपयोग  करना जनता है | जिसके दिल में पैसे वाला होने के बावजूद इंसानियत ज़िंदा है | जो अपने परिवार के साथ साथ अपने पड़ोसियों के बारे में भी सोचता है | जो समजवाद का सिर्फ नारा ही नहीं देता बल्कि समाजिक हित भी सोचता है |अमीरो के साथ साथ गरीबों को भी अपनी जिम्मेदारी से अवगत कराना चाहूंगा | पैसा भले ही उनके   पास ना हो लेकिन जिस व्यक्ति को भगवान ने इंसान के रूप में जन्म दिया है उसे हाथ पैर  देकर इस संसार में भेजा  है |  अरे हाथ पैर  मारने से तो इंसान तैरना भी सिख जाता है | तो  ईमानदारी और नेक नियति से हाथ पैर  मारकर तो देखो  जीवन जीने लायक तो इंसान कमा ही सकता  है | क्यों फिर आर्थिक स्थिति रोना रो  रोकर  अपने आप को गरीबी की लाइन में खड़ा किये हुए हो ? सबसे बड़ा गरीब तो वह है जिसने गलत तरीके  से  पैसा कमाने के लिए अपने हजारों  दुश्मन पैदा  कर  लिए है  |  जिसे रात  दिन कभी इन्कम टेक्स वालों  का डर  रहता है तो  कभी असामाजिक तत्वों का जिनके पास उसकी काली करतूतों के प्रमाण है |  समझने कि  कोशिश करें  में पैसा कमाने  या अमीर  बनने के खिलाफ भी नहीं हूँ |  परन्तु हमे इतना तो  ध्यान रखना  ही चाहिए कि  पैसा बहुत कुछ हो सकता है परन्तु सब कुछ नहीं | पैसा कमाने के लिए प्रयास करें  परन्तु स्वस्थ मानसिकता से ईमानदारी, परिश्रम और जिंदादिली से |देश के कानूनों की सीमा  में रह कर | गलत फहमी नहीं पालें  की गरीब को इज्जत नहीं मिलती मान सम्मान नहीं मिलता | पॉजिटिव सोच रखने वाले  स्वस्थ मानसिकता से ईमानदारी, परिश्रम और जिंदादिली से जीवन जीने वाले हर व्यक्ति को लोग वक्त आने पर सलाम  करते है इज्जत देते है चाहे वो अमीर हो  गरीब | इसका सबसे जीता जाता उदाहरण बॉलीवुड बन गया है जिन्हें  लोग अपना हीरो मानते थे आदर्श मानते थे  वो सब जीरो नजर आने लगे है | लेकिन घबराइए नहीं  यदि आपको  स्वस्थ मानसिकता से ईमानदारी, परिश्रम और जिंदादिली से , पैसा प्रसिद्धि पावर चाहिए तो दुश्मन को  सहज भाव से स्वीकारिये | दुश्मन को भी ईमानदारी, परिश्रम और जिंदादिली से  पैसा प्रसिद्धि पावर  कमाना सिखाइये | ना रहेगा बांस ना बजेगी बाँसुरी  |    



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