रोटी कपड़ा और मकान | लोकडाउन में | रमजान
जीवन अमृत पर आपका हार्दिक अभिनंदन है, स्वागत है ,रमजान की बहुत बहुत मुबारक बाद
आदाब , नमस्कार दोस्तों ,
रोटी कपड़ा और मकान | लोकडाउन में | रमजान
बहनो भाइयो रमजान का त्यौहार 23 अप्रैल 2020 से 23 मई 2020 तक मनाया जाएगा लोगो का मानना है की corona virus , covid 19, lockdown ने इस त्यौहार की रंगत फीकी कर दी | परन्तु बहनो भाइयों त्यौहार कोई भी हो उसका मकसद प्रेम, भाईचारा ,एकता बनाये रखना होता है | और प्रेम , भाईचारे दिखाने के लिए तो यह समय सबसे ज्यादा महत्व पूर्ण है | क्योकिं रमजान का यह महीना क भी गरीब ,असहाय, निशक्त, अभावग्रस्त, लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानेतथा उनकी सहायता करने के लिए प्रेरित करता है | यदि वास्तव में अल्लाह की इबादत करना चाहते है और रमजान के पवित्र महीने का फल पाना चाहते है तो कोरोना वायरस , लोकडाउन में कई गरीब ,असहाय, निशक्त, अभावग्रस्त लोग मिल जाएंगे | जिन्हे वास्तव में मदद की जरूरत है,आवश्यकता है | रमजान के पूरे महीने उस परिवार की हिफाजत करे | उसका जिम्मा उठाये | कपड़े लत्ते , खाने पीने तथा सिर छुपाने में उसकी मदद करे | यानी रोटी कपड़ा और मकान जीवन के ये तीन निशान इस लोकडाउन में आपके लिए रमजान मनाने और अल्लाह की इबादत करने का माकूल अवसर लेकर आये है | यदि आप इस बात समझ सके तो |
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दोस्तों रमजान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत का महीना होता है प्रार्थना का महीना होता है | इसीलिए लोग इस महीने में बुरे काम करने बुरा बोलने बुरे लोगों की संगत करने से बचते है | ताकि अल्लाह और उसके पैगंबर की इबादत ठीक से कर सके | इसीलिए लोग इस महीने में झूठ बोलने गलतियां करने किसी को ठेस पहुंचाने से बचते है | बोलने चालने से लेकर खान पान तथा काम धंधे में भी गलत तरीके अपनाने से परहेज करते है | यानी संयम बरतते है | वास्तव में रमजान का सही अर्थ भी संयम रखना ही होता है | परन्तु सवाल यह उठता है की यह संयम सिर्फ एक महीने के लिए ही हम क्यों रखना चाहते है | इसे हम आजन्म क्यों नहीं अपनाना चाहते है |
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धर्म चाहे कोई भी हो हर धर्म अपने अपने तरीके से अपने अनुयाइयों को किसी ना किसी पर्व उत्सव या त्योहार के माध्यम से संयमित रूप से जीवन यापन करने की प्रेरणा देता है | रमजान का महीना भी उन्ही में से एक है जो अपने अनुयाइयों के माध्यम से सारी दुनिया को संदेश देना चाहता है की हमे संयमित जीवन जीना चाहिए | वो भी आजीवन | यह महीना तो उसे समझने सीखने तथा अभ्यास करने का एक जरिया है | यही सब कुछ दूसरे धर्म भी अपने अपने तरीको से कहते रहे है कि लोग इन से सीखे परन्तु हम लोग सिर्फ रमजान , नवरात्र , क्रिसमस , मनाकर कुछ दिन तो अपने आप को संयमित रखते है | फिर वापस सच झूठ लड़ाई झगड़ा हिंसा नफरत लोभ लालच के जंजाल में ऐसे फंसते है कि इन धार्मिक पर्वों के माध्यम से दिए गए संदेशो को भूल कर असंयमित जीवन जीना शुरू कर देते है | प्रेम,भाईचारा भुलाकर गरीबो असहाय निशक्त अभावग्रस्त लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी तक भूल जाते है |
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जो लोग रोजा व्रत रखकर उस दिन झूठा दिखावा कर ईश्वर अल्लाह वाहे गुरु की इबादत प्रार्थना करने का आडंबर करते है उन्हें ना रमजान का फल मिल पाता है ना किसी व्रत का वास्तव में इनका फल ही पाना चाहते है तो जीवन भर संयम का पालन करे | अपनों के प्रति प्रेम भाईचारा दिखाए सच झूठ लड़ाई झगड़ा हिंसा नफरत लोभ लालच के जंजाल में ना फँसे गरीबो असहाय निशक्त अभावग्रस्त लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाए त्योहारों के असली संदेश को समझे | मानवीय मूल्य दिखाकर मानवता की मिसाल कायम कर रमजान के महीने का असली फल प्राप्त करे |
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Very nice idea about festivals and love of humanity.
जवाब देंहटाएंthanks, keep it up
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