Hindi article on life - आधुनिक शिक्षा की होड़

                                     आधुनिक शिक्षा

हम सिर्फ किताबी ज्ञान को शिक्षा मान  रहे हैं | जो हमारी बहुत बड़ी भूल है| हर कोई अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाना चाहता है | शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिकरण की होड़ लगी हुई है | लेकिन सिर्फ किताबी ज्ञान से हम शिक्षा का आधुनिकरण नहीं कर सकते इस व्यवसायिक दौर में हमारे बच्चों को उच्च शिक्षित होना आवश्यक है लेकिन सिर्फ किताबी ज्ञान से ही नहीं बल्कि आधुनिक होंगे हम विचारों से , सोच से
किताबी ज्ञान का अथाह भंडार हमारे देश में भरा हुआ है| लेकिन उसमे छिपे नैतिक ज्ञान की ओर हमारा ध्यान बहुत कम है | या यूं कहें हम नैतिकता को स्वीकार ही नहीं करना चाहते | नैतिकता दिखाएं तो दूसरा , नैतिक बात करें तो दूसरा, नैतिक बात सुने तो दूसरा, समझें तो दूसरा नैतिकता सुनने, समझने के लिए हमारे पास टाइम नहीं हे क्योंकि हमें तो अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाना है हम रात दिन इसी उलझन में हैं |  और इसी वजह से बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में परेशान रहते हैं|

                                       हम चाहते हैं बच्चे पढ़ लिखकर खूब पैसा कमाएं | यही हमारी गलत सोच बन गई है | जिंदगी जीने के लिए पैसा कमाना आवश्यक है लेकिन हम यह भी ध्यान नहीं रख पा रहे हैं कि बच्चे का मन क्या चाहता है ? हम उस पर जबरदस्ती पढ़ाई को थोप कर उसका शारीरिक मानसिक और बौद्धिक संतुलन बिगड़ रहें हैं | यह सोचकर की कहीं हमारा बच्चा इस अंधी दौड़ में पिछड़ न जाए उसे बचपन से ही दिमाग और शरीर पर वजन बांधकर दौड़ा रहे हैं हम यह भी नहीं सोच रहे हैं कि बचपन खेलने कूदने के लिए होता है | हम यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि शारीरिक और मानसिक विकास के बाद बौद्धिक विकास होता हे और यह प्रकृति प्रदत्त है हम प्रकृति को नकार कर बौद्धिक विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हम कृत्रिम तरीके अपना रहे हैं या डॉक्टर पर निर्भर हो रहे हैं |

                                           हम पहले अपने बच्चों को कुछ बनाने की सोचते हैं | कोई डॉक्टर बनाने की सोचता है, कोई इंजीनियर बनाने की कोई IAS और कोई IPS जबकि पहले हमें अपने बच्चे को इंसान बनाना चाहिए वह तभी  बन   सकता  है  जब   उसका  शारीरिक ,  मानसिक  और  बौद्धिक  विकास  सही   तरीके  से   हो  पाएगा | 
बच्चों के लिए हर माता -पिता का चिंतित होना आवश्यक है | बच्चों के लिए हर व्यक्ति अपना अच्छे से अच्छा करने की कोशिश करता है | लेकिन ऐसे भविष्य को आपके बच्चे कैसे जी पाएंगे जिनका वर्तमान ही जहरीला हो चुका हैं| पर्यावरण को हम जहरीला बना चुके हैं | इंसानियत हमारे पास बची नहीं हे | हम गिरगिट की तरह रंग बदल देते हैं| मानवता दम तोड़ रही है | द्रोपदी का चीर बढ़ाने के लिए हमें कृष्ण के अवतार का इंतज़ार हे | सीता का हरण कोई रावण कर ले तो उसका पता लगाने के लिए हमें हनुमान जी का इंतजार रहता है |

रावण यदि सामने आ जाए तो हम राम पर आश्रित हो गए हैं | हमने तो आधुनिक शिक्षा को भी इतना ग्रहण कर लिया है कि बिना कृत्रिम रोशनी के उसे हम समझ ही नहीं पाते हैं | दीपक की रोशनी में तो हमें आधुनिक शिक्षा दिखाई ही नहीं देती | और उजालों में हम जनरेटर से कृत्रिम बिजली पैदा करके आधुनिक शिक्षा दिलाने को भी तैयार हैं | सिर्फ पैसा खर्च करके हम बच्चों को शिक्षित नहीं कर सकते | हमें समाज में फैली अवधारणाओं को बदलना पड़ेगा, समाज का नव निर्माण करना होगा, हमें गीता ,कुरान और बाइबिल के उपदेशों को समझना पड़ेगा , वर्तमान को भविष्य मानना पड़ेगा| तब हमारे बच्चों का डॉक्टर, इंजीनियर आईएएस, आईपीएस बनना सार्थक होगा | और तभी हमारा और हमारे बच्चों का जीवन सफल बनेगा |

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