Hindi article on life - पुराने साल की विदाई और नए साल का स्वागत

                   पुराने साल की  विदाई और नए साल का स्वागत 



नए साल का स्वागत हम हर वर्ष इस उम्मीद से करते हैं कि 1 जनवरी से हम बहुत कुछ नया करेंगे| लेकिन हमारी यह सोच सिर्फ 1 दिन के लिए होती है| सिर्फ 31 दिसंबर के लिए जिस दिन हम पुराने साल को विदाई देते हैं और नए साल का स्वागत करते हैं| उसके बाद हम पूरा साल उधेड़बुन में निकाल देते हैं| उन चीजों को प्लस कर लेते हैं जिन्हें माइनस करना चाहिए और उन चीज़ों को माइनस कर लेते हैं जिन्हें प्लस करना चाहिए| प्लस यानी जोड़ना और माइनस यानी घटना आज के इस युग में हम प्लस का इस्तेमाल कम कर रहे हैं| और यही वजह है कि दुनिया में अविश्वास की स्थिति पैदा हो रही है| सोच में बहुत अंतर हो गया है| दृष्टिकोण बदल गया है| मानवता मर गई है| पर्यावरण प्रदूषित हो गया है| जीवन भागता - दौड़ता नजर आ रहा है| समय का आभाव हो गया है| रिश्तों में खटास आ गई है| संस्कारों का विलोप हो गया है| चेहरों पर मुस्कराहट खत्म हो गई है| हर व्यक्ति ' तनाव ' नामक वृक्ष को सींच रहा है जिस पर फल लगना संभव नहीं है| पैसा लोग कमा रहे हैं लेकिन उसका उपयोग सही नहीं कर रहे हैं| शिक्षा ले रहे हैं लेकिन समझदारी का अभाव नजर आ रहा है| नए - नए आविष्कार हो रहे हैं लेकिन उनका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है| सुख - सुविधाएँ बढ़ रही है लेकिन मन में उमंग और ख़ुशी नहीं है| नित - नए कानून बन रहे हैं लेकिन कानूनों की कोई परवाह नहीं है| बीमारियों के इलाज ढूंढे जा रहे हैं लेकिन बीमारियां बढ़ती जा रही है| आर्थिक विकास हमने कर लिया लेकिन जब महीने में तनख्वाह हाथ में आती है तो पता चलता है कि बच्चों की फीस , गाड़ी की किश्त, बिजली का बिल, एल. आई. सी की किश्त में से किन - किन को अगले माह के लिए छोड़ें| बच्चों के कपड़े अपने जूते पत्नी की डिमांड तो किसी त्यौहार पर पूरी करना मज़बूरी है| माता - पिता का चश्मा और उनकी दवाइयों का भी ध्यान है परंतु सब बाद में देखेंगे| कुछ को अगले महीने के बजट में देखेंगें| फिर भी कुछ बचा तो उससे अगले महीने के बजट पर टल जाता है और पूरा साल इसी तरह गुजरता जाता है| और जीवन भी इसी तरह गुजर जाता है| और फिर हम शुरू करते हैं कटौतियां | प्लस करने की जगह हम हर चीज में से माइनस करते जाते हैं|
यानि हम हमारी खुशियों को माइनस करते हैं , हमारी इच्छाओं को माइनस करते हैं, हमारे धन को माइनस करते हैं, हमारे लक्ष्यों को माइनस करते हैं , हमारी उम्र को माइनस करते हैं और बढ़ाते हैं यानि प्लस करते हैं क़र्ज़ को , प्लस करते हैं समस्याओं को , प्लस करते हैं तनाव को , प्लस करते हैं बिमारियों को, ईर्ष्या , गुस्सा , द्वेष को प्लस करके घुटन बढ़ाते हैं| कुछ लोग नशे को प्लस करते हैं तो कुछ दुश्मनों को जिन चीज़ों को हमें प्लस करना चाहिए उन्हें हम प्लस नहीं करते हैं | जिन चीजों को माइनस करना चाहिए उन्हें माइनस नहीं करते हैं| सोच कर देखें कैसी आधुनिकता है यह ? कैसी स्वतंत्रता है यह ? कैसा आर्थिक विकास है यह ? और कैसा नया साल है यह ? यदि हम नशा मुक्ति का संकल्प नहीं ले सके तो कैसा नया साल है यह ? यदि हम हमारी दुश्मनी को दोस्ती में नहीं बदल सके तो कैसा नया साल है यह ? यदि हम पर्यावरण को स्वच्छ नहीं रख सके तो कैसा नया साल है यह ? यदि हम नारी को सम्मान नहीं दे सके तो कैसा नया साल है यह ? यदि हम सुख - सुविधाओं से संपन्न होकर भी तनावग्रस्त जीवन जी रहें हैं तो कैसा नया साल है यह ? इससे तो पुराने साल ही अच्छे थे जब हम व्यस्त रह कर मस्त रहा करते थे अब नए साल में हम सिर्फ 31 दिसम्बर को मस्त रह कर पूरे साल को व्यस्त बना देते हैं कैसा नया साल है यह ? ऐसा कुछ करें हर दिन नया साल लगे जिससे आपका JEEVAN AMRAT बन जाए |

HAPPY NEW YEAR TO ALL FROM JEEVAN AMRAT


like , share , comment , subscribe and follow us

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बेटी हिंदुस्तान की

आधुनिक और प्राचीन जीवन का असमंजस

मनुष्य एक प्राकृतिक उपहार है लेकिन मशीनी होता जा रहा है