औरत की स्थिति बदलने में स्त्री व पुरुष दोनों का योगदान महत्वपूर्ण होता है
आज के इस डिजिटल युग में महिलाओ की दशा सुधार कर ही हम पारिवारिक ओर सामाजिक खुशहाली ला सकते है | स्त्री पुरुष एक दूसरे के विरोधी भी रहें हैं तो पर्याय भी है | जहाँ तक स्त्री पुरुषों के संबंधों की बात की जाए तो संबंधों में कहीं खटास है तो कहीं मिठास भी है | कहीं दोष पुरुष का है तो कहीं स्त्री का भी है |परन्तु एक दूसरे के साथ तालमेल बना कर स्त्री पुरुष जीवन के रास्तो को आसान बना सकते है | कठिन से कठिन परिस्थिति से भी बाहर निकल सकते है | विपत्तियों का मुकाबला एक दूसरे के सहयोग से ही किया जा सकता है |
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आज स्त्री को आगे बढ़ने के अवसर दिए जा रहें हैं | बेटियों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है | बेटी के जन्म पर बेटों की तरह उत्सव मानाने की शुरुआत हो चुकी है | पुरुषों की विकृत मानसिकता को बदलने के लिए महिलाओं के पक्ष में कानून बनाये जा रहें हैं | महिलाओं के मान सम्मान की रक्षा के लिए सामाज में जागरूकता लाई जा रही है | कई एन. जी. ओ .कई महिला संघठन महिला शक्तिकरण के प्रयास में जुटे हुए है |
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यह महिलाओं के प्रति बदलती सोच का संकेत है | लेकिन यह संभव नहीं है की बदलाव एक दिन में आ जाएगा | इस बदलाव में पुरुषों को तो अपना योगदान देना ही चाहिए लेकिन महिलाओं की भी ज़िम्मेदारी बनती है की इस बदलती सोच का यूज़ करें मिस यूज़ नहीं | स्वतंत्रता का गलत फायदा नहीं उठाये अपने प्रति बने कानूनों का दुरूपयोग नहीं करे | मी टू जैसे प्लेटफॉर्म का सदुपयोग करें दुरूपयोग नहीं | क्योकि दुरूपयोग करने से उन पुरुषो को ठेस पहुंच सकती है जो महिलाओं के पक्ष में खड़े होने का प्रयास कर रहे है | अपने आप को बेवजह अबला बना कर प्रस्तुत नहीं करें | यह बदलती सोच महिलाओं के लिए तो फायदेमंद होगी ही सामाजिक और पारिवारिक जीवन में सुख शांति बनाये रखने में भी यह बदलती सोच मील का पत्थर साबित होगी |
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औरत के शिक्षित होने से अपराधों में कमी होगी महिलाऐं आत्म निर्भर बनेगी आर्थिक रूप से मजबूत होगी | महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने में पुरुषो को अपना अहम त्यागना होता है | बिना अहंकार को त्यागे स्त्री कभी भी आगे नहीं बढ़ सकती है | एक दूसरे के प्रति विश्वास, एक दूसरे की परवाह, एक दूसरे का दिल से सहयोग करना बहुत ही जरूरी होता है | ये बातें सिर्फ परुषों पर ही लागू नहीं होती बल्कि महिलाओं को भी इन्ही बातों का करना होगा | औरत की स्थिति बदलने में स्त्री व पुरुष दोनों का योगदान महत्वपूर्ण होता है | इसके लिए दोनों को अपनी -अपनी हठधर्मिता त्यागनी होगी अहम् और वहम छोड़ने होंगे और इससे ही एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण संभव होगा | महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का ये अर्थ कभी नहीं लगाना चाहिए की परुषों से मुकाबला करने के लिए ये जरूरी है | क्योंकि सभी पुरुष एक जैसे नहीं होते आज पिता ऐसे है जो अपनी बेटी को आगे बढ़ते देख दूसरों की बेटियों को भी प्रेरित करते है कई ससुर ऐसे है जो अपनी बहुओं को आत्मनिर्भर बनते देखना चाहते है ये अलग बात है की कुछ अहंकारी पुरुष इसमें बाधक भी होते है लेकिन ये बात बिलकुल सही है की यदि महिलाये आत्मनिर्भर होगी तो परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और जब आर्थिक स्वतंत्रता होगी तो परिवार की खुशहाली को कोई नहीं रोक सकता | क्योकि आज के इस आधुनिक युग में महंगाई आसमान छू रही है बच्चों की पढ़ाई लिखाई और घर खर्च आय के मुकाबले बहुत बड़ रहा है इसी लिए
स्त्री पुरुष को तालमेल बैठकर अहंकार छोड़ कर एक दूसरे के सहयोग से महिला सशक्तिकरण की तरफ कदम बढ़ाने बहुत जरूरी है
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