फटे कपडे पहनना फैशन के अलावा सामाजिक सोच को दर्शाता है

                 फटे कपडे पहनना फैशन के अलावा सामाजिक सोच की झलक दिखता है



कपडे हमेशा फैशन का माध्यम रहे हैं  | कपड़ों से व्यक्ति  का व्यक्तित्व तो झलकता ही है |  साथ ही कपडे व्यक्ति की   सुंदरता   भी बढ़ाते हैं |  इसलिये कपड़ों के  चयन में सावधानी बरती जाती है |  आज कल फटी जींस का फैशन  और कपड़ों में पेबंद लगाने का चलन जोरो पर है  | यह फैशन का नया ट्रेंड बन कर उभरा है |  लेकिन जिसने भी इस ट्रेंड को फैशन का रूप दिया है हमे उसे धन्यवाद् देना चाहिए  | क्योंकि इससे उस व्यक्ति की सामाजिक सोच झलकती है |

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  फटे कपडे अक्सर गरीबी का परिचायक होते हैं |  पुराने समय में फटे कपडे पहनने पर लोग उपहास और मजाक का शिकार हो  जाया करते थे  | लेकिन  आज के ज़माने में अच्छे अच्छे लोग इसे फैशन के  नाम पर स्वीकार कर चुके हैं  | न जाने कितने पेबंद कपड़ों में देखे जा सकते  हैं |  लेकिन गरीब लोग पेबंद लगाने को अच्छा नहीं समझ  रहे हैं क्योंकि यदि वे फ़टे कपड़े फैशन के नाम पर पहन भी ले तो समाज को  उनके फैशन में  भी गरीबी की झलक दिखेगी |
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  लेकिन किसी को भी इसमें शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है  फैशन का यह ट्रेंड समाजिक सोच को विकसित करता है वह यह की कपडे चाहे फटे हुए हो लेकिन  पहनने लायक बनाया जा सकता है |  दूसरा फटे कपड़ों में लगे  पेबंद में कोई बुराई नहीं है बुराई तो   गंदे मैले बिना धुले कपडे पहनने में है इस फैशन से ये सीख अवश्य  लें  की कपडे  चाहे फटे हुए हो उन्हें सिल कर दुबारा सुधार कर पहना जा सकता है |
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 गरीबो के लिए यह फैशन नई सोच लेकर आया है |  लेकिन कुछ लोगो के अजीबो गरीब पहनावे  ने इसे मजाक बना कर रख दिया है | अच्छा हो की इस फैशन को हम मजाक नहीं बनने दे ताकि इस फैशन का आनंद गरीब लोग भी उठा सके उन्हें फटे कपड़ो  में पेबंद लगाने में  शर्मिंदगी महसूस न हो 

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