जीवन के रिश्तो में तालमेल बनाने के लिए मन के दरवाजे खोल कर रखें

आज हर एक रिश्तो में एक  समस्या आम  हो चुकी है |   वह है   तालमेल का आभाव |  जो आधुनिक जीवन शैली की वजह से हो सकता है |  परम्पराओं  और रूढ़ियों की वजह से हो सकता है ,सकारात्मक और नकारात्मक  सोच का हो सकता है, बुजुर्गो और बच्चों  की सोच के विचारो का हो सकता है, अमीरी गरीबी का हो सकता है ,जिंदगी जीने के नजरिये का हो सकता है  वजह और भी हो सकती है | लेकिन यह सच है कि  इन्ही वजहो  के  बिगड़े तालमेल ने हर रिश्ते  को उलझा कर रख दिया है |



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 कुछ लोग  हठधर्मिता, कुंठा ,जिद ,अहंकार पाल कर बेवजह  रिश्तो को बिगाड़  लेते है | अपने आप में थोड़ा भी परिवर्तन नहीं  लाना चाहते  है और दूसरो  की आदतों में परिवर्तन की हजारो अपेक्षाएं पाले रखते है  |   ऐसे लोगों  के साथ चाहकर भी   तालमेल बना पाना सम्भव नहीं हो पाता है |  उन लोगो के साथ तालमेल बना पाना बहुत ही आसान होता है जो अहम और वहम  को पाल कर नहीं रखते |  दृष्टिकोण सकारात्मक रखते है |   मन के खिड़की दरवाजों को खुला रखते है | जो    लोग मन के दरवाजे पर ताला लगा कर रखते है उनके लिए तालमेल बना पाना बहुत ही मुश्किल होता है |
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  आज दुनिया के अधिकतर रिश्तो  ने मन के दरवाजों  पर बड़े- बड़े ताले  लटकाये हुए है  रिश्तो  को मन के अन्दर  प्रवेश ही नहीं करने देते है | समस्या सही गलत या अच्छाई बुराई की नहीं है |  समस्या है   मन के अंदर प्रवेश नहीं कर पाने की |  जब हम किसी चीज  को देख ही नहीं पा रहे हे तो अँधेरे  में तीर चला कर सही को गलत गलत को सही बता कर अपने रिश्ते की जिम्मेदारी निभा देते है  | कुछ लोग जो   थोड़ी सी समझदारी दिखा देते है वो यह कह कर पल्ला झाड़ लेते है, अब किसे सही बताये किसे गलत क्योकि मन के अंदर तो झांक ही नहीं पाए | परन्तु यह कहने की हिम्मत बहुत कम लोग जुटा  पाते है की मन के दरवाजे तो खोलो | 
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अक्सर लोग न तो खुद  के लिए मन के दरवाजे खोल  पाते है न दूसरो के लिए |  जरा  सोच कर देखे साधारण सी बात है जब मकान पर ताला  लगा होगा तो  आप  मकान के बहार ही खड़े रहेंगे |   हममे से अधिकतर लोगो ने अपने आप को मन रूपी घर  के बाहर बेवजह खड़ा किया हुआ है |  जिसकी चाबी भी खुद  की जेब में रखी हुई है  जरूरत है तालमेल रूपी चाबी से मन का दरवाजा खोलने की  |  जिन  रिश्तो में मन के दरवाजे खुले है उन लोगो से पूछो खिड़कियों से विनम्रता, अपनापन, प्रसन्नता की ठंडी हवा मन रूपी घर में जब प्रवेश करती है तो जीवन के सरे दुःख दर्द आनंद में बदल जाते है   क्रॉस वेंटिलेशन हो जाता है तो सारी  उमस खत्म हो जाती है | उस खंडहर को भी उपयोग के लायक बनाया जा सकता है जहाँ  बाहर  भले ही अंधकार हो लेकिन अंदर प्रकाश फैला हो |  परन्तु उस महल को कभी भी  उपयोग में नहीं लाया जा सकता जो बाहर से जगमगाता दिखे परन्तु अंदर घुप अंधकार हो |  इसलिए मन को बाहर से भले ही खंडहर दिखने दे परन्तु अंदर से हमेशा प्रकाशित कर ताला  खोल कर रखे  रिश्तो में बनी दूरियाँ  भी खत्म हो जायेंगी  |  रिश्तो में तालमेल   बनाने के लिए मन के दरवाजे खोल कर रखें | 

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