मी टू केम्पेन महिलाओं की आवाज़ बुलंद करने का एक माकूल जरिया है | इसमें कोई शक नहीं | मी टू केम्पेन के जरिये महिलाये अपने ऊपर हुए अत्याचार अश्लीलता कार्य स्थल या सामूहिक उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकती है | परन्तु यह तब ही सम्भव है जब घटना में सच्चाई हो | यह केम्पेन महिलाओँ की स्थिति को सुधारने में दुष्कर्मो को रोकने में सहायक हो सकता है | इसके दुरपयोग की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता | कानून या अभियान किसी की सुरक्षा सुविधा सहायता या जागरूकता के लिए बनाये , चलाये जाते है | लेकिन कुछ लोग इनका मिसयूज करके नई नई समस्याएं खड़ी करते है तो कुछ लोग यूज करके | नई समस्याओं को जन्म दे देते है | इसलिए इनके दूरगामी परिणामों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता |
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स्त्री पुरुष एक दूसरे के पर्याय है एक दूसरे का साथ एक दूसरे की हिम्मत एक दूसरे का विश्वास एक दूसरे का अपनापन जहाँ प्रेम और खुशियाँ बरसाता है वही एक दूसरे के विरूद्व होकर एक दूसरे को अपमानित करके एक दूसरे की हिम्मत और विश्वास को तोड़कर एक दूसरे को ठेस पहुंचाकर समाज में नफरत का जहर आसानी से घोला जा सकता है | नफरत हमेशा सामाजिक विकृतियों को जन्म देती है | स्त्री पुरुष दोनों प्राकृतिक संरचनाएं है और प्रकृति हमेशा प्रेम का समर्थन करती है नफरत का नहीं | प्रेम के स्वरूप को पुरुष विकृत करें या स्त्री परिणाम हमेशा आने वाली पीढ़ी को ही भुगतने पढ़ते है | पुरुषों को यह समझना होगा की प्रेम का प्रदर्शन करना कोई बुरा नहीं है | सौंदर्य की प्रसंशा करना कोई बुरी बात नहीं लेकिन प्रेम का प्रदर्शन उच्च कोटि के शब्दों में किया जाता है अंगो से नहीं सौंदर्य की तारीफ के लिए गीत लिखे जाते है | भावनाये व्यक्त की जाती है अश्लील फब्तियां नहीं कसी जाती |
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वहीं स्त्री को भी सावधानी बरतनी होगी समझदारी दिखानी होगी | पुरुष का जीवन भी तनाव में है वजह उसकी चाहे जो हो | सच्चे प्रेमी की तलाश स्त्री पुरुष दोनों को होती है कब कौन किसके नजदीक आ जाये इसका एहसास होने में कई बार देर हो जाती है | उचित अनुचित का ख्याल छोड़कर कई लोग भूल कर बैठते है | यही भूल कई बार ज्यादती, उत्पीड़न ,अत्याचार का रूप ले लेती है | गलती चाहे पुरुष की हो या स्त्री की | जब बात बिगड़ जाती है तो हर कोई अपना बचाव करना चाहता है | और फिर कोई अपनी गलती स्वीकारना नहीं चाहता हर कोई अपना क़ानूनी पक्ष मजबूत करना चाहता है
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क़ानूनी पक्ष मजबूत करना बुरा नहीं है | परन्तु अपनी- अपनी गलतियों को स्वीकार कर पारिवारिक , सामाजिक प्रतिष्ठा का ध्यान रख कर एक दूसरे की समस्याओं को समय रहते सुलझाने की कोशिश करें | ME TOO का प्रयोग बदले की भावना से कभी नहीं करें | यदि उत्पीड़न हुआ है और पुरुष वास्तव में अत्याचारी है तो बेझिझक महिलाओ को आगे आना चाहिए | लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए की इसका दूरपयोग सामाजिक विकृति पैदा कर सकता जो समाज के लिए और पारिवारिक रिश्तों के लिए खतरनाक हो सकता है |
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