हमारे जीवन की चाबी बन गई है ये दो चीजें

आज दो चीज़ों  को  हम जान की बाज़ी लगाकर भी उन्हें पाना  चाहते हैं   | पहला पैसा और दूसरा शिक्षा, जीवन के ये दो उद्देश्य जिन्हे हम जीवन जीने  का सबसे बड़ा साधन मानते हैं उसने ही हमारे जीवन जीने के सारे गणित बिगाड़ दिए हैं | हमारे जीवन की चाबी बन गई है ये दो चीजें | हमारी किस्मत के बंद  ताले  इन्ही के भरोसे पर  खुलते है | 
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  क्योंकि हमे ये भी पता नहीं है कि पैसा  कमाना  क्यों ज़रूरी  है ? पैसे का होना न होना कितना दुखद नुक्सान दायक और हमारी जान का दुश्मन है  ? कहाँ पैसा बचाना है और कहाँ खर्च करना है  ? किसे पैसे की आवश्यकता है और किसे नहीं ?  कौनसा पैसा ईमनदारी से कमाया जा   रहा है कौनसा बेईमान से ? किस तरह के पैसे  से  घर में बरकत होती है किससे  नहीं ?  कहीं पैसा हमारे रिश्तों में  खटास तो पैदा नहीं कर रहा है ? पैसा होना  न होना हमे तनावग्रस्त तो नहीं कर रहा है ? हमारे स्वास्थ्य को   प्रभावित तो नहीं कर रहा है ?   इन सवालों   के  जवाब  जाने बिना हम पैसा कमाने के लिए  दौड़ रहे हैं  |

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 यह सही है की  पैसा कमाए  बिना हम   जीवन की आवश्यकताओ की पूर्ति नहीं कर सकते  लेकिन जीवन की आवश्यकताओ  की लिस्ट भी आज बड़ी लम्बी चोड़ी हो चुकी है आवश्यकताओ  और सुविधाओं में फर्क समझना जरूरी है |   पड़ोसी के घर की सुविधाएँ  भी आज हमारी  आवश्यकता  बन  गयी है | इसलिए  पैसा हम कमाने लगे है दिखावे के लिए |  जबकि पैसा कमाना चाहिए  सुकून के लिए, रिश्ते नातों को बनाये रखने के  लिए ,सामाजिक रीती रिवाजों परम्पराओं को निभाने के लिए, आज हम लोग जो पैसा कमा रहे हैं उससे इनमे से बहुत कम उद्देश्यों की पूर्ती हो रही है |  और हो भी रही है तो गलत तरीके अपना कर  | 
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  लालच स्वार्थ ने हमे इतना अँधा बना दिया है की शिक्षा जो बच्चों को जीवन जीने का नजरिया सीखाती है, जीवन जीने के   उद्देश्य समझाती है, रिश्ते  निभाने में हमारी मदद करती  है , उसे  भी हम सिर्फ पैसा कमाने के लिए ग्रहण करना चाहते हैं |  उसका उद्देश्य भी हम गलत लेकर चल रहे हैं |  पैसा कमाना अलग बात है शिक्षा लेना अलग बात है |  हम ऐसा करके बच्चों के जीवन को जीने के लिए नहीं बल्कि मानसिक बीमारी पैदा कर तनाव्ग्रस्त जीवन देने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं जो हमे आज नहीं बल्कि आने वाले समय में साफ़ नज़र आ  जायेगा |  शिक्षा दिलाने और पैसा कमाने के गलत  तरीके हमे जीवन  जीने की तरफ नहीं बल्कि जीवन के पतन की तरफ धकेल रहे हैं  | 
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