यह आप की सोच पर निर्भर है आप कैसा जीवन जीना चाहते है
जिंदगी को जीने के लिए जिन्दा रहना जरूरी है जिन्दा रहने के बजाय हम मरने मारने पर उतारू होकर जिंदगी को जीना चाहते है सोच कर देखो मरने और मारने के खेल में कोई ज़िंदगी कैसे जी सकता है हर तरफ नफरत हर तरफ गुस्सा हर तरफ बदले की भावना इंतकाम की आग | घर , परिवार, देश ,विदेश समाज, राजनीति , खेल - कूद , मंदिर मस्जिद गिरजे गुरुद्वारा , कोई धार्मिक स्थल नहीं बचा जहाँ बिना विवाद के निर्विरोध किसी मसले को सुलझाया जा सके इतना असमंजस की दूर- दूर तक नज़र दौड़ाने पर बमुश्किल कोई अपना सा नज़र आता है | जिस पर भी विश्वास करने के लिए सोचना पड़ता है |
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कैसा वक्त, कैसा समय, कैसा जमाना आ गया है ? रिश्ते नातों की समझ लगभग समाप्त हो चुकी है | एक दूसरे की बातों को तवज्जु देने का रिवाज लगभग खत्म सा हो गया है | नियम अपने रिवाज अपने हर बात में गाली, गोली, बन्दूक | प्रेम भाईचारे ईमान की बात करना बड़ा मुश्किल हो गया है | कहने सुनने में ज़रूर प्रेम भाईचारे ईमान की बातें अच्छी लगती है | जब कोई इन्हे अमल में लाने की कोशिश करता है तो बेचारा अकेला पड़ जाता है | हार थककर चुप बैठने या फिर अपनी जान को मुसीबत में डालने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं होता |
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लोग ईमानदारी की मिसाल ज़रूर पेश करेंगे तारीफों के पल बांधेंगे लेकिन वक्त आने पर ईमानदार व्यक्ति का साथ देने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे | आज आवश्यकता है ईमनादार व्यक्ति का साथ देने की | ताकि दुनिया में ईमानदारी कायम हो सके ईमनदारी कायम होने से ही नफरत ख़त्म होगी और प्रेम और भाईचारा बढ़ेगा |
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आज भी ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है बात है सिर्फ साथ देने की साथ हम किसी न किसी का तो देते ही है | हमे अक्सर हमारी स्वार्थ पूर्ति के लिए बेईमानी का साथ देना आसान लगता है परन्तु लालच और बेईमानी ऐसा कैंसर है जिसका पता आखरी स्टेज पर लगता है| 70 साल का कैंसर ग्रस्त लम्बा जीवन जीने से 40 साल का स्वस्थ्य और खुशहाल छोटा जीवन बेहतर होता है यह आप की सोच पर निर्भर है आप कैसा जीवन जीना चाहते है |
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