कैसे होंगे वो दिन जब एक पैसे से भी बाजार की सैर की जाती होगी


कैसे होंगे वो दिन जब एक पैसे से भी बाजार की सैर की जाती होगी 


आज हम लाये है आपके लिए कुछ पुरानी  यादें  ये यादे लाये है हम पुरानी  भारतीय मुद्रा के रूप में 
आप में से कुछ के पास हो सकता है पुराने सिक्के रखे हो परन्तु फिर भी आज की युवा पीढ़ी और बच्चों  को पुरानी  भारतीय मुद्रा की जानकारी नहीं होगी | परन्तु सोचिये कैसे होंगे वो दिन जब लोग एक पैसा जेब में रख कर  भी बाजार की सैर कर के खरीददारी करते होंगे | 


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ये पुराने सिक्के देख  कर कुछ लोग अपने बचपन को जरूर याद  कर रहे होंगे जब दस पैसे लेकर भी बच्चे बाजार जाते थे और दस पैसे में गोली बिस्कुट जैसी चीज़  खरीद लाते  थे |




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रूपये का पचासवाँ  भाग 1944  में इस तरह का दिखाई देता था
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यही दो पैसे का सिक्का 1962  में नए रूप और आकर में  इस तरह का  दिखाई दिया


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पाँच पैसे के सिक्के का भी उस जमाने में अपना महत्व था



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20  ऐसे का यह सिक्का 1971 के युद्द की याद दिलाता है



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 एक, दो ,तीन, पाँच , दस, बीस  पैसो के सिक्कों  ने समय समय पर  अपने आकर रूप को परिवर्तित किया है
ये वो दौर  था जब एक पैसे का सिक्का भी चलन में था और एक पैसे से भी रोते  हुए बच्चे को चुप करा दिया जाता था आज एक रुपया भी रोते  हुए बच्चे का रोना बंद नहीं करवा सकता |


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पच्चीस पैसे के सिक्के को चवन्नी तथा पचास पैसे को अठन्नी  कहा जाता था |

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