दुश्मन को हजार मौके दोस्त बनने के दे, परन्तु दोस्त को एक भी मौका दुश्मन बनने का न दे

अक्सर लोग छोटी - छोटी परेशनियो से समस्याओं  में उलझ कर दुखी होते रहते है |  दुखी होने के बजाय उनके समाधान खोजने चाहिए समाधान नहीं खोजने की वजह से हताशा और निराशा हावी होने लगती है |  यदि समाधान पर विचार किया जाये तो बड़ी से बड़ी समस्या का भी कोई न कोई विकल्प निकला जा सकता है |  परन्तु समस्या  परेशानी आने पर लोग भय , डर, दुखी और निराश होकर हाथ पर हाथ धर  कर बैठ जाते है |  जो हो चुका उसके लिए दूसरो को दोषी ठहरने के बजाय हौसला और हिम्मत रखते हुए उन्ही लोगो के साथ मिलकर समस्या का समाधान निकालना आसान होता है बनिस्पत उन्हें दोष देकर उनसे दूरी बनाकर उनसे दुर्व्यवहार करने के  |
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  अक्सर लोग गलती यही करते है मन में कुंठा पालकर दोष देने और दुखी होने का काम करते है और ये सब हम करते है उसे बिना एहसास कराये |  किसी को उसकी गलती का पता भी न लगे और हम मन   में रख कर उसे दोष देते रहे हमारा यही व्यवहार कुंठा कहलाता है |   जबकि यदि हमे कुछ गलत लगता है तो हमे उसका थोड़ा सा एहसास सामने वाले को अवश्य करना चाहिए और जब कोई किसी को प्यार मोहब्बत से किसी की गलती का एहसास करता है तो ऐसी कोई वजह नहीं की कोई अपनी वाजिब गलती को भी मानने से इंकार कर दे या सुधारने का प्रयास नहीं करे |
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  अक्सर हम किसी को गलती  का सही तरीके से एहसस करने में चूक करते है |  यदि किसी को गलती का एहसास सही तरीके  से कराया जाये ,उसकी बात को भी कहने का मौका दिया जाये, उसे भी सुना जाये और फिर किसी नतीजे पर पहुंचा जाये तो निश्चित रूप से गलतफहमिया दूर हो सकती है  समाधान निकाले जा सकते है |  परन्तु हम बिना  किसी को सुने बिना  हकीकत जाने किसी को  दोषी मान कर गलत निर्णय की तरफ मुड़  जाते है |
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  हमारा यह एक गलत निर्णय खुद को तो दुखी करता ही है  जाने कितने लोगो को बेवजह दुखी कर देता है और जीवन भर जो गलती किसी ने की ही नहीं उसका वजन दिल पर रख कर बोझ ढ़ोते  रहते है |  इसलिए जब भी किसी की कोई बात गलत लगे बातचीत के रास्ते  कभी बंद नहीं करे, कुंठा कभी नहीं पाले |  दुश्मन को हजार मौके  दोस्त बनने के दे परन्तु दोस्त को एक भी मौका दुश्मन बनने का नहीं दे  |

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