आखिर क्यों नहीं बना पाते हैं हम लोगों से तालमेल
आखिर क्यों नहीं बना पाते हैं हम लोगों से तालमेल
जीवन में दुखी होने की बहुत सारी वजह हो सकती है परन्तु दुखी होने की सबसे महत्वपूर्ण वजह है सकारात्मक नहीं सोच पाना | सकारात्मक नहीं सोच पाने की वजह से हम लोगों से तालमेल नहीं बना पाते हैं | यही वजह नकारात्मक माहौल बना देती है | छोटी- छोटी बातों को दिल पर लेकर हम दुखी होते रहते हैं | मसलन उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था , उसने ऐसा क्यों कह दिया, मै तो उससे कभी बात भी नहीं करूँगा, मेरी बात को कोई सुनता ही नहीं है, मेरी बात कोई मानता ही नहीं है, इन्ही बातों के लहजे में छिपी हुई है सकारात्मकता और नकारात्मकता |
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बोले गए शब्द ही देते है सकारात्मक और नकारात्मक सन्देश
यही शब्द यही वाक्य जब हम सकारात्मक होकर खुले मन से बिना दुःख के व्यक्त करेंगे तो सकारात्मक सन्देश जायेगा | इन्ही शब्दों को हम दुखी होकर व्यक्त करेंगे मन को मैला करके कहेगे तो नकारात्मक सन्देश जायेगा | इसी से हमारी सोच की सकारात्मक और नकारात्मक प्रदर्शित होती है | लोगों के बीच तालमेल बनाने और बिगड़ने की मुख्य वजह यही होती है | जिस बात को मजाक में बोलना होता है उसे हम नकारात्मक होकर हमारे लहजे से व्यंग्य का रूप दे देते हैं जो लोगों को चुभने लगता है | और यही बात जब हम सकारात्मक होकर बिना व्यंग्य के टालने के उद्देश्य से बोलेंगे तो वो मजाक का रूप ले लेता है | फिर माहौल खुशनुमा हो जाता है |
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सफलता और मान सम्मान पाने की वजह सकारात्मक सोच ही होती है
यही बातें हमे समझनी भी सकारात्मक होकर ही पड़ेगी क्योंकि यदि इन्हे हम नकारात्मक होकर समझेंगे तो मजाक की जगह वो व्यंग्य लगेगी | जो लोग पॉजिटिव बोलते हैं पॉजिटिव सुनते हैं पॉजिटिव सोचते हैं और पॉजिटिव समझते हैं बिगड़ी हुई परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में करने की क्षमता रखते हैं | सफलता और मान सम्मान पाने की अधिकतर वजह सकारात्मक सोच ही होती है | जो लोग नेगेटिव होकर बोलते हैं सुनते हैं और सोचते हैं वो खुशनुमा माहौल को भी बिगाड़ देते हैं |
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हमारी इसी सोच की वजह से सही बाते गलत और गलत बात सही लगने लगती है | रिश्तो में अक्सर सोचने, समझने, बोलने, सुनने के अंदाज ही तालमेल को बिगाड देते है | फिर एक दूसरे पर दोषारोपण करते हुए दूरियां बढ़ाकर सारा जीवन इसी तरह गुजार देते हैं और जीवन का आनंद ख़त्म कर लेते हैं | यदि जीवन का सच्चा आनंद लेना चाहते है तो सोचने , समझने, बोलने, सुनने में सकारात्मक बने |
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