रिश्तों का अंकुरित होना बहुत ही जरूरी है
बिना प्रेम के रिश्ते कभी भी अंकुरित नहीं हो सकते
रिश्तों का अंकुरित होना बहुत ही जरूरी है और उसके लिए जरूरी है प्रेम बिना प्रेम के रिश्ते कभी भी अंकुरित नहीं हो सकते आज हम देख रहे है भाई भाई में प्रेम खत्म होता जा रहा है पति पत्नि एक दूसरे से खुश नहीं है प्रेम नहीं होने खुश नहीं होने की वजह से एक दूसरे की सही बातो को मानना भी मुश्किल हो जाता है जहाँ प्रेम होता है वहाँ एक दूसरे की बात मानकर गलतियों को भी सुधारा जा सकता है | प्रेम नहीं होने से आपसी बातचीत बंद होना स्वाभाविक है संवादहीन रिश्ते बेजान हो जाते है न एक दूसरे की मन स्थिति पता चलती है संवेदनाओं का पता नहीं चल पाने की वजह से भावनात्मक लगाव खत्म हो जाता है एक दूसरे के दुःख दर्द लगाव नहीं होने की वजह से महसूस नहीं किये जा सकते |
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जब मुरझये फूल अच्छे नहीं लगते तो मुरझाये रिश्ते कहाँ से अच्छे लगेंगे
दिल एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार तभी होता है जब संवेदनाये जगती है भावनाये होती है लगाव होता है एक दूसरे के दिल से दिल मिलते है और यह तभी सम्भव है जब रिश्तो में प्रेम हो मोहब्बत हो बिना प्रेम के रिश्ते मुरझा जाते है जब मुरझये फूल अच्छे नहीं लगते तो मुरझाये रिश्ते कहाँ से अच्छे लगेंगे यही दर्द एक दूसरे के प्रति गलत फ़हमिया पैदा करता है संबंधो में कटुता पैदा करता है अहंकार पैदा करता है जो आर्थिक मानसिक और शारीरिक समस्याओं को बढ़ाता है |
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जब कोई रिश्ता बिगड़ता है तो वह नए रिश्तो को जन्म देता है
एक बिगड़ा हुआ रिश्ता पूरे परिवार को तो तनाव ग्रस्त करता ही है समाज में अप्रत्यक्ष रूप से न जाने कितनी समस्याओ को खड़ा कर देता है यह एक कटु सत्य है की जब कोई रिश्ता बिगड़ता है तो वह नए रिश्तो को जन्म देता है नए रिश्तो को निभा पाना भी आसान नहीं होता इसलिए जीवन में ज्यादा रिश्ते होना भी ख़तरनाक हो जाता है क्योकि हर व्यक्ति अपनी स्वार्थ पूर्ति में लगा हुआ है | इसलिए यह भी समझना जरूरी है की जो रिश्ते बने हुए है उन्हें ही मजबूत किया जाय उनमे ही गलत फ़हमियों को दूर कर उनमे ही जीवन ढूंढा जाये तो पारिवारिक बिखराव और तनाव से बचा जा सकता है |
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मन को दुखी करने के बजाय प्रसन्न रखने का प्रयास किया जाये
अपनी आदतों में परिवर्तन लाया जाये कमियों को स्वीकारा जाये क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है क्रोध से बचा जाए ऐसा कुछ किया जाये जिससे खुद के तथा दूसरो के चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे मन को दुखी करने के बजाय प्रसन्न रखने का प्रयास किया जाये खुद जियो औरो को भी जीने दो के सिध्दांत का पालन किया जाये दू सरो की बुराइयाँ सामने लाने से पहले अपनी भी ढुंढी जाए अपनी आदतों में परिवर्तन करके रिश्तो में प्रेम बढ़ाया जा सकता है परिवार को बिखरने से बचाया जा सकता है |
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