कार ने बनाया बाल काटने वाले को अरबपति
कार ने बनाया बाल काटने वाले को अरबपति
अधिकतर लोग तुरंत कामयाबी चाहते है
समस्याएं परेशानियाँ आएगी लेकिन उनसे घबरायें नहीं
यदि कामयाब होना चाहते है तो लम्बी प्लानिंग करें
रमेश बाबू है बाल काटने वाले अरबपति
किसी दूसरे की सफलता को हम बहुत हल्के में लेते है
नींद आये तो काँटों पर भी रात गुजारनी पड़े तो गुजारे
अधिकतर लोग तुरंत कामयाबी चाहते है
इंसान यदि चाहे तो क्या नहीं कर सकता | इंसान की लगन, मेहनत और धैर्य उसे कामयाबी दिलाने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाती है | सब्र का फल हमेशा मीठा होता है | परन्तु दुनिया में बहुत कम लोग है जो धैर्य रख पाते है | अधिकतर लोग तुरंत कामयाबी चाहते है | परन्तु ये उनकी गलत फहमी होती है | कामयाबी हमेशा कई दिनों की मेहनत के बाद दिखाई देती है | कई बार तुरंत कामयाबी मिल भी जाती है | परन्तु ऐसी सफलता कुछ दिनों में असफलता में भी बदल जाती है, जो स्थाई नहीं कही जा सकती |
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समस्याएं परेशानियाँ आएगी लेकिन उनसे घबरायें नहीं
स्थाई सफलता हमेशा लम्बे समय में ही प्राप्त होती है | किसी का लक साथ दे जाये या किस्मत मेहरबान हो जाये ये अलग बात है | परन्तु यह भी बहुत कम लोगो के साथ होता है | इसलिए बड़ी कामयाबी के लिए किस्मत के भरोसे रहने या ख्याली पुलाव पकाने के बजाय मेहनत, लगन, ईमानदारी से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाये | समस्याएं परेशानियाँ आएगी लेकिन उनसे घबरायें नहीं | क्योकि ये भी कामयाबी का ही हिस्सा होती है जिसे हर कोई नहीं समझ पाता है | इनसे घबराकर कभी भी आप लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकते | चुनौतियों का सामना करने से ही सफलता मिलती है | समस्या आने पर ईर्ष्या ,द्वेषता, कुंठा कभी नहीं पाले | दूसरो को दोष देना आपकी सबसे बड़ी नाकामयाबी साबित करेगा |
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यदि कामयाब होना चाहते है तो लम्बी प्लानिंग करें
अपनी कमियां ढूंढे, उनमें सुधार करें और आगे बढ़ते जाएं | अक्सर लोग एक दो साल की मेहनत में सफलता मिलने की उम्मीद पाल लेते है | जो बिलकुल गलत धारणा है | एक दो साल में तो पैदा होने के बाद बच्चा ठीक से पैर जमाना भी नहीं सीख पाता | तो फिर एक दो साल में क्यों इंसान बड़ी कामयाबी की उम्मीद पाल लेता है ? जिस तरह से मनुष्य का बचपन, जवानी, बुढ़ापा आता है | ठीक उसी तर्ज पर कामयाबी भी आती है | यदि कामयाब होना चाहते है तो लम्बी प्लानिंग करें | एक दो साल की नहीं | आज हम आपको बताने जा रहे है ऐसे ही अरबपति की कहानी जो बाल काटते काटते अरबपति बन गया |
रमेश बाबू है बाल काटने वाले अरबपति
रमेश बाबू की कहानी बड़ी दिलचस्प है | बाबू 1994 में अपने पिता के देहांत के बाद सेलून की दुकान पर बैठने लगे धीरे- धीरे कुछ पैसो की बचत करके मारुती ओमनी कार खरीद कर लाये | उसे उन्होंने किराये पर देना शुरू किया धीरे- धीरे उन्होंने और भी कारे खरीदी और अपनी नाई की दुकान भी संभालते रहे रमेश बाबू की लगन, धैर्य और मेहनत रंग लाई और उन्होंने ट्रेवलिंग कम्पनी शुरू कर दी | इस कम्पनी ने लक्ज़री कारे किराये पर देना शुरू कर दिया कई बड़े उद्योग पति तथा सेलिब्रिटीज भी उनके कस्टमर है | बस धीरे धीरे उनके अरबपति बनने का सफर शुरू हो गया | आज रमेश बाबू की गिनती बेंगलुरू के सबसे रईस लोगो में की जाती है | उनके पास 200 से ज्यादा कारे है जिसमे बी एम डब्लू, रॉल्स रॉयस जैसी लक्ज़री कारे भी शामिल है | परन्तु रमेश बाबू आज भी अपनी दुकान पर बाल काटते देखे जा सकते है |
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किसी दूसरे की सफलता को हम बहुत हल्के में लेते है
इसी लिए कहा जाता है सफलता के लिए शार्ट कट कभी नहीं अपनाये | बल्कि दूसरों की सफलता से प्रेरणा लें ये अंदाजा लगाए की उन्होंने सफल होने के लिए कितना धैर्य, कितना परिश्रम, कितनी सहनशीलता का परिचय दिया होगा | कितनी परेशानियाँ सही होगी, कितनी ठोकरें खाई होंगी | किसी दूसरे की सफलता को हम बहुत हल्के में लेते है | सिर्फ उसकी अमीरी के दिनों से उसकी कामयाबी का आंकलन करते है | उसके अच्छे दिनों से या उसके उजले पक्ष को देखकर बहुत जल्द कामयाब होने के लिए उससे गुर सिखने की कोशिश करते है | परन्तु यह कोई नहीं चाहता की एक कामयाब इंसान की तरह भूखे- प्यासे रह कर, सड़कों पर रात गुजार कर, लोगों के ताने सुन कर सफलता अर्जित की जाए |
नींद आये तो काँटों पर भी रात गुजारनी पड़े तो गुजारे
जबकि असली सफलता के लिए इंसान को इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है | जिस व्यक्ति को भूख - प्यास और लोगों के तानो की चिंता ने घेर लिया वह अपने कदम सफलता कि तरफ नहीं असफलता की तरफ बढाता है | इसलिए कामयाब होना चाहते है तो भूख लगे तो जो मिल जाये वो खा ले | नींद आये तो काँटों पर भी रात गुजारनी पड़े तो गुजारे | लोगों को ईंट का जवाब पत्थर से नहीं बल्कि प्यार मोहब्बत से देना सीखें | कोई भी कामयाब इंसान कामयाबी का ऐसा गुर नहीं बता सकता जिससे रातों रात सफलता हासिल की जा सके | वो यही प्रेरणा देगा कि ठोकर खाये बगैर, धैर्य, लगन , परिश्रम और सहनशीलता के बिना कभी भी इंसान ऊंचाइयों को नहीं छू सकता | वो यही सलाह देगा किसी को नीचे गिरा कर कभी भी ऊपर नहीं उठा जा सकता |
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