क्या आज हर घर में पैसो की तंगी महसूस नहीं की जा रही है
अमीरी गरीबी जीवन के साथ चलती है ये जीवन का हिस्सा है | हम आज आपके लिए लाये है कुछ पुरानी तस्वीरें जो लोगो के जीवन स्तर को दर्शाती है | लोगो के पास पुराने समय में पैसा भी हुआ करता था परन्तु जीवन स्तर ऊँचा नहीं था | एक पड़ा लिखा इंसान भी साधारण पहनावा पहनता था | परन्तु पहनावे और बोलचाल से पढ़े लिखे और अनपढ़ का पता लगाया जा सकता था | लेकिन इंसान चाहे पढ़ा लिखा होता था या अनपढ़ इंसानियत हर व्यक्ति में दिखाई देती थी | इतना स्वार्थ और लालच नहीं दिखाई देता था जितना आज के इस आधुनिक युग में दिखी देता है | आज शिक्षा का स्तर भी ऊँचा उठा है, लोगो का जीवन स्तर भी ऊँचा उठा है, परन्तु फिर भी इंसानियत का स्तर ऊंचा नहीं उठा है | आज लोगो के पहनावे बोलचाल से ना पढ़े लिखे होने का का अंतर् पता चलता है ना इंसानियत का | ना अमीरी पता चलती है ना गरीबी | कौन व्यक्ति कैसा होगा इसका पता भी बहुत देर से चल पाता है | अब तो धोखा खाने के बाद ही इंसान की फितरत पता चल पाती है | अच्छे इंसानो को हर कोई ढूढ़ता फिर रहा है परन्तु उसकी यह खोज ही पूरी नहीं हो पाती है | ये कुछ तस्वीरें बयान करती है पुराने लोगों के जीवन का अलग अलग अंदाज |
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ये थे प्राची वाद्य यंत्र जिनमे व्यक्ति की प्राकृतिक कला का प्रदर्शन होता था साथ ही साथ शारीरिक व्यायाम भी होता था आज के युग में इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्रो का उपयोग किया जाता है |
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ये तस्वीरें लोगो के मनोरंजन को दर्शाती है | किस तरह से लोग अपने खाली समय में मनोरंजन कर के खुशहाल जीवन ली लिया करते थे | आज मनोरंजन के नाम पर सब अपने फेस बुक और वाट्स एप पर बीजी है |
मनोरंजन तनाव दूर करने के लिए किया जाता है जबकि आज हम जो भी साधन या माध्यम मनोरंजन के लिए अपना रहे है वो हमारे स्वस्थ पर विपरीत प्रभाव डाल रहे है दूसरा मनोरंजन के ये साधन हमारी जेब पर भी भरी पद रहे है चाहे वो मोबाईल हो या बड़ी बड़ी होटलो की पार्टियाँhttps://images.app.goo.gl/mHcepkHACDZDMmfQ6 |
अपनी आजीविका के लिए लोग खेती करके इस तरह अपना जीवन व्यतीत करते थे | अपने काम धंधे के बाद दिन अस्त और मजदूर मस्त | लेकिन आज रात दिन एक करने के बावजूद हर इंसान और अधिक पैसा कमाने के लिए भागता दौड़ रहा है उसकी यह दौड़ खतम ही नहीं हो रही |
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महिलाये इस तरह घर के आंगन की लिपाई गाय के गोबर से किया करती थी | जो प्राकृतिक कीटाणुनाशक का काम करता था | आज जिन केमिकल युक्त कीटाणुनाशकों का प्रयोग किया जाता है वो प्राकृतिक नहीं होते है |
https://images.app.goo.gl/PzLsQPjnyHDvUCtV8 |
बच्चो की बीमारी में इस तरह देखभाल की जाती थी घर के नुस्खों से ही बीमारी को ठीक किया जाता था | अस्पताल का रस्ता तो बहुत बड़ी बीमारी में देखा जाता था | आज छोटी- छोटी बीमारियों पर तुरंत अस्पताल का रुख किया जाता ही और लाखों रूपये तुरंत खर्च कर दिए जाते है |
क्या आज हम अच्छी पढ़ाई लिखाई अच्छी इनकम अच्छे पहनावे अच्छी सुख सुविधाओं के बावजूद तनाव में जीवन जीने पर मजबूर नहीं है ? क्या घर के सभी लोगों की कमाई के बावजूद हर घर में पैसो की तंगी महसूस नहीं की जा रही है ? क्या आज बच्चे अपना बचपन जी पा रहे है ? क्या हम हमारे बुजुर्गो का ख्याल सही तरीके से रख पा रहे है ? कैसा पारिवारिक जीवन हो गया है यह जिसे ना सह पा रहे है ना कह पा रहे है ?
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