बाल दिवस मनाने के पीछे मूल मकसद
बाल दिवस मनाने के पीछे मूल मकसद
बाल दिवस यानी बच्चों का दिन जिसे हम प्रति वर्ष 14 नवम्बर को कई वर्षो से मनाते आये है | इस दिवस को हम बाल दिवस के रूप में मनाते जरूर है परन्तु जिस मकसद को लेकर इस दिवस की शुरुआत की गई थी उस मकसद को हम भूल चुके है | बाल दिवस मनाने के पीछे मूल मकसद बच्चों को निर्भीक और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है | जबकि आज आधुनिक युग में तीन साल के बच्चे की शिक्षा के लिए माता पिता जिस कदर चिंतित है उससे साफ़ जाहिर होता है की बाल दिवस मनाना मात्र औपचारिकता करना है | आज इस एजुकेशन ने बच्चों का बचपन छीन लिया छोटे- छोटे बच्चे ना ठीक से सो पा रहे है ना ठीक से खा पा है ना खुल कर हँस पा रहे है ना रो रहे है | खेल कूद भी स्कूलों के भरोसे पर रह गया है | पारम्परिक खेलों से दूरी बनाने की वजह से इंटरनेट के गेम्स ही बच्चो के दोस्त बन गए है |
बाल दिवस यानी बच्चों का दिन जिसे हम प्रति वर्ष 14 नवम्बर को कई वर्षो से मनाते आये है | इस दिवस को हम बाल दिवस के रूप में मनाते जरूर है परन्तु जिस मकसद को लेकर इस दिवस की शुरुआत की गई थी उस मकसद को हम भूल चुके है | बाल दिवस मनाने के पीछे मूल मकसद बच्चों को निर्भीक और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है | जबकि आज आधुनिक युग में तीन साल के बच्चे की शिक्षा के लिए माता पिता जिस कदर चिंतित है उससे साफ़ जाहिर होता है की बाल दिवस मनाना मात्र औपचारिकता करना है | आज इस एजुकेशन ने बच्चों का बचपन छीन लिया छोटे- छोटे बच्चे ना ठीक से सो पा रहे है ना ठीक से खा पा है ना खुल कर हँस पा रहे है ना रो रहे है | खेल कूद भी स्कूलों के भरोसे पर रह गया है | पारम्परिक खेलों से दूरी बनाने की वजह से इंटरनेट के गेम्स ही बच्चो के दोस्त बन गए है |
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प्यार मोहब्बत नहीं मिल पाने से बच्चे अकेलापन के शिकार हो जाते है
पढ़ाई लिखाई का दबाव बच्चों पर इस कदर होता है की माता पिता रिश्ते नातो से दूरी बनाने पारिवारिक कार्यक्रमों से दूर रहने पर बच्चों को मजबूर कर देते है | यही कारण है की बच्चों में रिश्ते नातो की समझ कमजोर पड़ती जाती है | अपनापन प्यार मोहब्बत नहीं मिल पाने से बच्चे अकेलापन के शिकार हो जाते है | छोटे छोटे बच्चों से इस उम्र में जरूरत से ज्यादा अनुशासन की अपेक्षा करना बच्चों में तनाव कुंठा पैदा करता है | अनुशासन रखना बुरा नहीं है परन्तु जिस उम्र में बच्चा अनुशासन का अर्थ तक समझ पाने सक्षम ना हो उस नाजुक उम्र में उसके कंधों को हम किताबों और अनुशासन के बोझ तले दबाकर उसके बचपने को तो खत्म कर ही रहे है साथ ही उसकी छुपी हुई प्रतिभा को बहार आने से भी रोक रहे है |बाल दिवस मनाने का मकसद हमारा तब ही पुरा होगा जब हम बच्चों को उनका बचपन लौटाने में कामयाब होंगे |
पढ़ाई लिखाई का दबाव बच्चों पर इस कदर होता है की माता पिता रिश्ते नातो से दूरी बनाने पारिवारिक कार्यक्रमों से दूर रहने पर बच्चों को मजबूर कर देते है | यही कारण है की बच्चों में रिश्ते नातो की समझ कमजोर पड़ती जाती है | अपनापन प्यार मोहब्बत नहीं मिल पाने से बच्चे अकेलापन के शिकार हो जाते है | छोटे छोटे बच्चों से इस उम्र में जरूरत से ज्यादा अनुशासन की अपेक्षा करना बच्चों में तनाव कुंठा पैदा करता है | अनुशासन रखना बुरा नहीं है परन्तु जिस उम्र में बच्चा अनुशासन का अर्थ तक समझ पाने सक्षम ना हो उस नाजुक उम्र में उसके कंधों को हम किताबों और अनुशासन के बोझ तले दबाकर उसके बचपने को तो खत्म कर ही रहे है साथ ही उसकी छुपी हुई प्रतिभा को बहार आने से भी रोक रहे है |बाल दिवस मनाने का मकसद हमारा तब ही पुरा होगा जब हम बच्चों को उनका बचपन लौटाने में कामयाब होंगे |
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एक कली को फूल बनाने के लिए जरूरी है
हम अपने आप से पूछ कर देखें जब हमारे ऊपर काम का बोझ पड़ता है हम पर जब बेवजह कोई दबाव बनाने की कोशिश करता है तो हमारे मन में किस तरह के विचार चलते है | कोई हताश , उदास, निराश होता है तो कोई कुंठित, दुखी और परेशान नजर आता हर कोई तनाव में आकर अनुशासन भूल जाता है तो तीन साल के छोटे बच्चे से हम क्यों अनुशासन की इतनी अपेक्षा रखते है ? इस उम्र में पढ़ाई लिखाई और अनुशासन से ज्यादा जरूरी है बच्चे का बचपना , उसका स्वास्थ्य, उसकी चंचलता , उसकी मुस्कान, उसका तनाव मुक्त होना जो एक कली को फूल बनाने के लिए जरूरी है | जो कच्ची मिट्टी से बनाये मटके को आकार देने के लिए जरूरी है |बाल दिवस पर ना सही हमें जब भी अवसर मिले बच्चे की मुस्कान उसे अवश्य लौटाए |
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नंबर वन की यह अंधी दौड़
आधुनिक शिक्षा की इस होड़ में अधिकतर कलियाँ फूल बनने से पहले ही मुरझाने लगी है | कच्ची मिट्टी को आकार देने में शिक्षा के शिल्पकारों को भी कठिनाई महसूस होने लगी है | शिक्षा के प्रति जागरूकता जागरूकता नहीं बल्कि अंधी दौड़ बन गई है जिसमे हर कोई अपने बच्चे की प्रतिभा जाने बगैर नंबर वन की दौड़ में शामिल है | इस दौड़ के परिणाम स्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़े परिवर्तन की जरूरत महसूस होने लगी है मासूम बच्चो के बचपन को लौटाने के लिए उन्हें हीन भावना, कुंठा, द्वेषता से बचाने के लिए हर माता पिता को सोचना होगा | हर शिक्षाविद को अपनी राय प्रकट करनी होगी | वरना अंको की यह अंधी दौड़ कहीं मृग मारीचिका बन कर महामारी का रूप ना लेले | बाल दिवस मनाने के मकसद को हम बाल दिवस के दिन ही नहीं बल्कि आज भी पूर्ण कर सकते है |
आधुनिक शिक्षा की इस होड़ में अधिकतर कलियाँ फूल बनने से पहले ही मुरझाने लगी है | कच्ची मिट्टी को आकार देने में शिक्षा के शिल्पकारों को भी कठिनाई महसूस होने लगी है | शिक्षा के प्रति जागरूकता जागरूकता नहीं बल्कि अंधी दौड़ बन गई है जिसमे हर कोई अपने बच्चे की प्रतिभा जाने बगैर नंबर वन की दौड़ में शामिल है | इस दौड़ के परिणाम स्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़े परिवर्तन की जरूरत महसूस होने लगी है मासूम बच्चो के बचपन को लौटाने के लिए उन्हें हीन भावना, कुंठा, द्वेषता से बचाने के लिए हर माता पिता को सोचना होगा | हर शिक्षाविद को अपनी राय प्रकट करनी होगी | वरना अंको की यह अंधी दौड़ कहीं मृग मारीचिका बन कर महामारी का रूप ना लेले | बाल दिवस मनाने के मकसद को हम बाल दिवस के दिन ही नहीं बल्कि आज भी पूर्ण कर सकते है |
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