आज हमारा पैसा और समय जरूरत से ज्यादा खर्च हो रहा है
आज हमारा पैसा और समय जरूरत से ज्यादा खर्च हो रहा है
आज लोगो का जीवन इतना बदल चुका है कि उन्हें अपना और अपने बच्चों के अलावा किसी का ख्याल ही नहीं रहता है | रिश्ते नाते का ख्याल ,रिश्ते नातो की जिम्मेदारियां निभाना एक मजबूरी हो गई है | आज चाहते हुए भी रिश्ते नातों को निभा पाना सम्भव नहीं हो पा रहा है | इसके कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारण है सबसे पहली तो हमारी महत्वाकांक्षाए दूसरी हमारी जीवन शैली | दोनों वजहों से आज हमारा पैसा और समय जरूरत से ज्यादा खर्च हो रहा है | इसी ने हमारे रिश्तों के गणित को बिगाड़ रखा है | जिस तरह से आज हम जीवन जी रहे है वो इस तरह का हो गया है की बिना सुख सुविधा के हम एक कदम भी आगे नहीं बड़ा पाते है | सुख सुविधा को हम कर्जा करके भी पाना चाहते है इसे हम चाहे मजबूरी कह लें सामाजिक प्रतिष्ठा कह लें या इज्जत का सवाल |
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प्राचीन समय में लोगो की हैसियत स्वर्ण रजत आभूषण, जमीन, जायदाद , रिश्तेनातों में मिलन सारिता उनकी बात के वजन उनके कार्य करने की क्षमता से आँकी जाती थी | आज हेसियत आँकी जाती है ब्रांडेड कपड़ो से जूतों से लक्ज़री गाड़ियों. से दबंगाई से न्यायपालिका और कार्यपालिका की पहुंच से इससे भी बढ़कर उसकी राजनैतिक पहुंच भी उनके कद को बड़ाने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाती है इन सब पर आज हमारा पैसा और समय जरूरत से ज्यादा खर्च हो रहा है लेकिन सच तो यह है की इन सभी चीजों के होते हुए भी इंसान को अपने जीवन में किसी न किसी समय पर किसी ना किसी घटना से उसके जीते जी इस बात का एहसास जरूर होता है कि चाहे उसके पास धन दौलत कितनी भी क्यों ना हो मान सम्मान प्रतिष्ठा उसने कितनी भी बनाई हो परन्तु रिश्ते बनाने और बिगड़ने में जो भूल हुई वह उसके जीवन की सबसे बड़ी भूल है | इसलिए जीवन में कुछ हो ना हो लेकिन रिश्तो में मिठास जरूर होनी चाहिए |
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यदि आपके पास प्यार मोहब्बत अपनापन ना हो किसी से बोलने के लिए दो मीठे वचन ना हो तो कोई आप को याद नहीं करता ऐसा नहीं है की आपके पास पैसा हो तो ही लोग आपको याद करेंगे इस जमाने में आज भी कई लोग है जिनके पास धन दोलत भले ही नहीं हो परन्तु दो मीठे बोल है | मुसीबत में सिर्फ पैसा ही काम नहीं आता बल्कि निस्वार्थ व्यक्ति भी आपको मुसीबत के समय धीरज दिलाकर हिम्मत दिलाकर आपका साथ दे सकता है | जो मुसीबत में फंसे व्यक्ति के लिए धन दोलत से कम नहीं है | ऐसे व्यक्ति को पीठ पीछे भी याद किया जाता उनकी बोली चाली की मिठास ही लोगो के दिलो में घर कर जाती है और जहां बोली में मिठास नहीं हो वहां ना जाने का मन करता है न ऐसे लोगो के बीच कोई उठना बैठना चाहता है | लेकिन प्यार मोहब्बत और अपनेपन से काम लेने के हम अपने पैसे का रॉब दिखने की कोशिश करते है यही वजह है कि आज हमारा पैसा और समय जरूरत से ज्यादा खर्च हो रहा है |
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आज यदि हम किसी को परखना चाहे तो भले ही चिराग लेकर निकल जाये कोई अपना नहीं दिखाई देगा हर व्यक्ति किसी ना किसी स्वार्थ से हम से जुड़ा नजर आएगा कोई ना कोई कमी हमे दूसरो में और दूसरो को हमारे अंदर दिखाई देगी परखने के बाद भी नहीं कहा जा सकता किसी के दिल में नफरत भरी है या प्यार इसलिए किसी को परखने के बजाय अपना समझो, अपनापन दिखाओ, अपनेपन में एक एक चीज का हिसाब नहीं रखा जाता एक- एक रूपये पर नियत नहीं बिगाड़ी जाती | तराजू का पलड़ा बिल्कुल बराबर नहीं रखा जाता जहां तराजू के पलड़े को देख कर हिसाब किताब किया जाता है वहां कभी अपनापन नहीं होता | ना ही तराजू के पलड़ा का एक तरफ झुकने पर अपनापन कहा जा सकता है | तराजू का झुकाव कभी इधर कभी उधर होता रहेगा वहाँ कभी भी बराबरी नहीं दिखेगी और जहां बराबरी की प्रतियोगिता नहीं दिखेगी रिश्ते में स्वतः ही अपनापन दिखेगा | लेकिन आज प्रतियोगिता के चक्कर में हम इतने अंधे हो चुके है आज हमारा पैसा और समय जरूरत से ज्यादा खर्च हो रहा है |
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