यदि आप सक्षम हैं तो उन लोगों की तन मन धन से मदद करें जो सक्षम नहीं हैं यही भगवन की असली पूजा है

अक्सर संकट मुसीबत और आश्चर्य के समय हमारे मुँह से अनायास ही निकल जाता है | हे ईश्वर ! है भगवान !है राम! चाहे व्यक्ति आस्तिक हो या नास्तिक जब वह बहुत ज़्यादा दुखी हो जाता है जब बहुत बीमार हो जाता है जब बहुत मुसीबत में आ जाता है तो उसे कोई और रास्ता नहीं सूझता और यह हमारे दिल से निकली हुई आवाज होती है जो ब्रह्माण्ड की अलोकरिक शक्ति तक पहुँचती है | और अक्सर हम दुःख पड़ने पर ही भगवान को याद करतें हैं | इसीलिए कहा जाता है दुःख में सुमिरन सब करें सुख में करें न कोय जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय!

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सुख में सुमिरन का अर्थ है जब हम सुखी हो तब भी हमे भगवन का नाम लेना चाहिए उसे याद करना चाहिए और याद करने या नाम लेने का सीधा और सही तरीका है ऐसे काम करें जो ईश्वर आपसे चाहता है जब हम सक्षम हैं तो हम सुखी है चाहे हम शरीर से सक्षम हो बुद्धि से सक्षम हो या धन दौलत से सक्षम हो हमें लोगों की शारीरिक मानसिक और आर्थिक मदद करनी चाहिए दूसरे लोगों के दुखो को दूर करना चाहिए यही तन मन धन अर्पण करना होता है यही सुख में सुमिरन करना यही भगवन को याद करना होता है अक्सर हम जब सभी तरफ से सुखी हो जातें

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 तो यह सब करना भूल जातें हैं और जब कोई दुःख हमारे जीवन में आता है तो फिर हम ईश्वर की शरण में भागते हैं | इसलिए यदि आप सक्षम हैं तो उन लोगों की तन मन धन से मदद करें जो सक्षम नहीं हैं यही भगवन की असली पूजा है यही भगवान को पाने का तरीका है |
       
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