मदद न लेना स्वाभिमान नहीं बल्कि कभी कभी यह हमारा अभिमान होता है

 पेड़ पौधो  की तरह होता है रिश्तो का महत्व 

जिस तरह पेड़ पौधो के  हर भाग  का अपना  महत्व होता है, उपयोग होता है |  उसी प्रकार रिश्तो  का भी  महत्व होता   है |   बीज से  पौधा  बनता है, पौधा जब बड़ा होता है तो उसमे फल फूल लगते है जिनका इंतजार हम  जाने कितने समय से  करते रहते है |  जब फल फूल लगते है  तो हम उन की और आकर्षित होते है |   क्या कभी आपने सोचा है की फल फूलो की वृद्धि में किन- किन चीजों  का योगदान होता है   ? उत्तर मिलेगा बगीचे के माली का  |  माली का   योगदान पौधे की वृद्धि में हो सकता है, उसकी देखभाल में  योगदान को नकारा नहीं  जा सकता |  परन्तु फल फूलों  तथा वृक्ष की   वृद्धि में जड़, तना और पत्तियों का योगदान भी   होता है  | क्योकि जड़ का काम  जमीन से  पानी सोख कर तने तक पहुंचना होता है  और तना पानी को  पत्तियों  तक पहुंचने में मदद करता है |    पत्तियां  जल की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाती  है   तब  फल फूलो का  निर्माण सम्भव होता है  |  यदि जड़े   अपना काम नहीं करे, तना अपना काम करना बंद कर दे, पत्तियां अपना काम करना बंद कर दे  तो पेड़ कभी भी जिंदा नहीं रह सकता  | 
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 क्यों  इंसान अपने फर्ज को भूल कर अपने स्वाभिमानी होने का दावा  ठोकता है ?

 इसका  सीधा सा अर्थ यह है की जब प्रकृति  एक दूसरे के सहयोग के  बिना अकेले   कुछ नहीं कर सकती   तो इंसान कैसे अकेला कुछ  करने की गलत फहमी पाले सारा जीवन रिश्तो की उपेक्षा करके रिश्तो को बिगड़ कर गुजरने के लिए भी तैयार हो जाता है  ?  और यही वजह है की  हम एक   दूसरे का सहयोग लेने  और देने में शंका पाल कर  रखते है | जिस तरह जड़,  तना, पत्ती,  फल , फूल पेड़ के अंग होते है|  एक ही परिवार का  सदस्य होने के   नाते वे एक दूसरे की मदद  करना अपना  फर्ज   समझते है |   फिर  क्यों   इंसान  अपने फर्ज को भूल कर अपने स्वाभिमानी होने का दावा  ठोकता है?   क्यों आवश्यकता पड़ने पर रिश्तेदारो  की  मदद  लेने और देने  से  इंकार कर देता   है? 
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 अभिमानी कुंठित स्वार्थी अहंकारी  होने का प्रमाण

  विपत्ति  के समय किसी कि   मदद न  लेना स्वाभिमान नहीं होता   बल्कि कभी कभी  यह  हमारा  अभिमान होता है ,  कुंठा होती है  |  जो हमारे सर चढ़ कर बोलती  है  |  वहीं  बुरे समय में किसी रिश्तेदार की मदद न करना हमारे स्वार्थी और अहंकारी   होने का प्रमाण होता है  | किसी भी परिवार का फलना फूलना उसके रिश्तो पर निर्भर करता है  | यदि रिश्ते एक दूसरे को  पेड़ो की तरह हवा पानी और धुप पहुंचाने  में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है  तो परिवार का फलना फूलना तय है और यदि हवा पानी रूपी प्यार मोहब्बत लेने और देने में स्वाभिमान और अहंकार आड़े आ  रहे  समझिये  उस परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली दांव  पर  लगने की तैयारी  है  |   
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