Raksha bandhan tips in corona देश काल परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन ही जीवन में बदलाव का एक प्रयास है
Raksha bandhan tips in corona
देश काल परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन ही जीवन में बदलाव का एक प्रयास है
वैसे तो त्यौहार हमारी परम्पराओं और संस्कृति का प्रतीक होते है परन्तु हर त्यौहार मनाने के पीछे कोई न कोई लॉजिक होता है, तर्क होता है| राखी यानि रक्षा बंधन का त्यौहार मनाने के पीछे भी लॉजिक छिपा है |
राखी यानि रक्षा सूत्र इस बात का प्रमाण है कि बहन के द्वारा भाई की कलाई पर बांधा गया धागा इस कामना के साथ बांधा जाता है कि यह धागा भाई की हर मुसीबत में रक्षा करेगा | वहीं भाई भी बहन द्वारा बांधे गए धागे का सम्मान रखते हुए बहन की हर मुसीबत में रक्षा करने, हर मुसीबत में उसके साथ खड़ा रहने का वचन देता है |
परन्तु आज के युग में रक्षा बंधन का यह त्यौहार परम्परा और वचन का मोहताज नहीं है बल्कि आज भले ही यह करोना काल की वजह से उत्साह वर्धक न हो लेकिन कोरोना काल के पहले से ही यह त्यौहार हर त्यौहार की तरह अपने मूल उद्देश्य को शायद खो चुका है |
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जिस तरह हर त्यौहार एक व्यवसायिक दृष्टिकोण से जुड़ा है वैसे ही यह सावन के दिनों में आने वाला त्यौहार हिन्दुओं के लिए कोरोना काल का पहला बड़ा त्यौहार है | कोरोना काल की वजह से हर व्यक्ति की जेब ढीली पड़ी हुई है |
जिसका असर निश्चित रूप से भाई बहन के इस त्यौहार पर भी पड़ने की 100 % संभावना है | चाहे मिठाइयों की बात करे या राखियों की, इस बार सभी का व्यवसाय पहले की अपेक्षा मंदा रहने के आसार है | कोरोना और सोशियल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने वाले लोग अपने अपने घरों में रह कर ही इसे मनाने के पक्ष में है |
रक्षा सूत्र बांधने के लिए वैसे तो एक धागा ही काफी होता है परन्तु मार्केट में आधुनिक व्यवसाय की चहल पहल के लिए मात्र रक्षा सूत्र ही नहीं बल्कि नई -नई प्रकार की राखियों, नई- नई प्रकार की मिठाइयों, नए प्रकार के राखी के संदेशो से भरे कार्ड्स तथा गिफ्ट्स की बिक्री पर पड़ने वाले प्रभाव से यदि आंकलन किया जाये तो यह त्यौहार कुछ फीका लगने वाला है |
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परन्तु वो लोग जो यह त्यौहार सिर्फ परम्परागत तरीके से मनाते आये है, जो कार्ड या गिफ्ट संस्कृति के मोहताज नहीं है , वो लोग अपने पारम्परिक व्यंजन तथा मिठाइयाँ घर पर ही बना कर, घर में रह कर ही कोरोना काल में भी रक्षा बंधन का आनंद उठा सकते है |
कोरोना की वजह से पारम्परिक संस्कृति या त्यौहारों की रंगत फीकी नहीं पड़ने दे | raksha-bandhan-tips-corona देश, काल, परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन लाये यही प्रकृति की भी मांग है और ये ही जीवन में बदलाव का एक प्रयास है |
सही बात ।
जवाब देंहटाएंthanks
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