दिवाली पर आवश्यकता प्रकाश को समझने कि नहीं बल्कि आवश्यकता तो अन्धकार को समझने की है
दीपावली प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है इसे बताने या समझने और समझाने की शायद इतनी आवश्यकता नहीं है | दिवाली पर आवश्यकता प्रकाश को समझने कि नहीं बल्कि आवश्यकता तो अन्धकार को समझने की है | क्योंकि जिस अन्धकार को दूर करने के लिए हम प्रकाश की बात करते है उसे समझना कोई नहीं चाहता | दिवाली पर हम हमारे घरो की साफ़ सफाई करते है, घरों को रोशन करते है, परन्तु जो अन्धेरा हमारे मन में है उसके उजलेपन के लिए हम मन की सफाई तक करने को तैयार नहीं है | हम चाहे कितने ही दीये जला लें घरों को कितना ही साफ़ सुथरा रख लें परन्तु यदि हमारे मन की गंदगी को दूर करने में असमर्थ है तो बाहरी साफ़ सफाई और रोशनी की सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वावाभिक है | अक्सर हम एक ही पहलू पर विचार करते है दूसरे पहलू पर हमारी नजर तब पड़ती है जब तक कि हम एक पहलू से उपजी समस्या से पूरी तरह घिर नहीं जाते है | ...